हंसीं चेहरे पे लाकर मुस्कुराया कीजिए!
कुछ पल यूँ अपने गमों को भुलाया कीजिए!
कौन जाने कहां कदम ठहर जाये फिर से!
रह ए उल्फत वफाओं से सजाया कीजिए।
वक़्त के साथ जीस्त बदलता है मगर!
संग पहलू के मुहब्बत भी निभाया कीजिए।
हम मेहमां हैं यहां मुशाफिर की तरह!
चाह का दीपक सफर में फ़ैलाया कीजिए।
जीलें आ दिलसे दिलको हम मिला करके!
पल दो पल की जिंदगी यूँ बिताया कीजिए।
हंसीं चेहरे पे लाकर मुस्कुराया कीजिए!
कुछ पल यूँ अपने गमों को भुलाया कीजिए!
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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