उन के पलकों के पीछे मेरा ठिकाना हो!
दिल मिले दिल से लब पे मेरा तराना हो।१।
रुख़ पे ज़ुल्फ़ें जो बिखराये जब कभी हँसकर!
हर तरफ हो हँसीं मौसम पल सुहाना है।२।
राज ए दिल जताये जब प्यार है कितना!
हम से कह दे कसम से गर घर बसाना हो।३।
इश्क़ हुआ और मेरी हसरत सजी जैसे!
चाहतों का नया फिर कोई बहाना हो।४।
गुल खिले और गुल ए गुलशन रहे खिलता!
बीच दिलके यूँ महब्बत का बस फसाना हो।५।
उन के पलकों के पीछे मेरा ठिकाना हो!
दिल मिले दिल से लब पे मेरा तराना हो।१।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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