न जा ने कबसे हुआ है जबसे , निखर रही है-2!
जो हाल है प्यार में हमारा, उधर रही है-2।१।
जहाँ भी जाऊं लगे है मुझको, करीब है वो-2!
के दिल पे छाकर रुहों में जैसे, उतर रही है-2।२।
कहो ज़रा तो उसे ये जाकर, वफ़ा निभाये-2!
के रुख सुहानी सदा लिये फिर, बिखर रही है-2।३।
जिधर सफर हो वो ढल के आये, जिगर के सदके-2!
बहार लेकर हया की रुत फिर, गुजर रही है-2।४।
है इश्क़ उनको, ज़रा ज़रा ही, मगर जताये-2!
हमें खबर है नजर चुराये , सँवर रही है-2।५।
न जा ने कबसे हुआ है जबसे , निखर रही है-2!
जो हाल है प्यार में हमारा, उधर रही है-2।१।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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