हवाओं ने रुख मोड़ लिया!
साँसों से रिस्ता तोड़ लिया।
उड़ते हैं पक्षी फिर कैसे!
जहर जो फजा घोड़ लिया।
दिल की बात लब कहे!
थोड़ा सा चाह जोड़ लिया।
जैसे ही पग बढ़े साकी!
वफ़ा ने साथ छोड़ लिया।
ज्यों ही हम कुछ मांगे!
हाथों ने हाथ जोड़ लिया।
हवाओं ने रुख मोड़ लिया!
साँसों से रिस्ता तोड़ लिया।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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