Monday, November 16, 2020

गले से लगाया तुम्हे तो ये हुवा एहसास मुझको,

© *गजल*
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*आसमाँ की आगोश में, बीजलियाँ सिमट गयी।*
*समदंर के बाहों में बलखाती नदिया सिमट गयी।*

*गले से लगाया तुम्हे तो ये हुवा एहसास मुझको,*
*की जैसे मेरी बाहो में सारी दुनिया सिमट गयी।*

*परेशान कर रही थी मुझे, तुम्हारी याद दिलाकर,*
*तुम सामने आये तो सिने में हिचकीयाँ सिमट गयी।*

*रिवाजो की ऊँची दिवार, बंदिशे जमाने की थी,*
*फिर भी मिले दो दिल और हथकडीयाँ सिमट गयी।*

*जुदाई देर तक हमारे हिस्से में कहाँ रहेती है जान,*
*बंद आँखो से दीदार किया और दुरीया सिमट गयी।*

*तु आसमाँ का चाँद, क्रिश ज़मी का सितारा,* 
*मिलने की चाह में देखो मजबुरीयाँ सिमट गयी।*
            ✍ *आशा क्रिश गोस्वामी*

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