Saturday, August 25, 2018

भैय्या मैं राखी कैसे मनाऊं

पुनीत पावन सावन का महीना,राखी का त्यौहार,
तुम्ही बतलाओ तुम बिन बंधन बांधूं किसे मैं प्यार।
इस मतलब की संसार में,किसे बनाऊं अब मैं ढार,
भैय्या सरहद पर बैठे हो,मौत रही मंडराए.......
ऐसे जब रिश्ते खतरे में,कैसे मनाऊं अब मैं त्यौहार।

ईक वादा तूने राष्ट्र भक्ति का, लिया कसम मेरा लेकर,
तेरे आज की कमी से फिर,  मैं न तो गर्व से इठलाऊं।
आज देख,हालात आपकी,देश की राजनीति के कारण,
जब भाई बैठा कफन बांध सरहद,राखी किसे पहनाऊं।

तेरे बचपन की ओ नखरे,जो दे निकाल राखी,
                        और मैं डांट डांट,गांठ बार-बार लगाऊं।
मेरे रक्षा की खातिर तु ढाल सदा बन जाता,
                        अपनी सुरक्षा की किसे तलवार बनाऊं।
तेरे राखी में ना आने की गम में सुखती जाऊं,
                       अपनी दिल की दर्द,किसे अब मैं सुनाऊं।
मां से प्यार मिले भरपूर, पिता से मिले फटकार,
                       मेरे हीरे जैसे भैय्या,किसे शिकवा लगाऊं।
सेना में हो भाई मेरे पर हो जैसे बंधे हुए संसद,
                      तुम सोच रहे,बहना से वादा कैसे  निभाऊं।
एक वादा पे दिक्कतें कई,दुश्मन के आगे झुकें,
                     नाजुक राखी के बदले क्या हथियार उठाऊं।
कश्मीर में हर बार पत्थर से लहूलुहान हो ऐसे,
                    बंधे कमजोर हाथों में, पवित्र धागे न चढ़ाऊं।
गर विदाई हो मेरी तो,तुम रोने भी घर नहीं आए,
                   ऐसे देश में,अब पर्व की उत्साह कैसे मनाऊं।
बिन तेरे मेरे दिल के टुकड़े,सोना,हीरे मेरे भइया,
                   बोलो शेरे ए दिल,भैय्या मैं राखी कैसे मनाऊं।

                     🇮🇳 जय हिन्द वन्देमातरम् 🇮🇳

                    ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
                           सैन्य परिवार,सदस्य
                            मुंगेली - छत्तीसगढ़
                             7828657057
                           

Friday, August 24, 2018

राखी के बंधन में फिर एक बार बंध जाएं

अटूट अमिट अविरल वादों की बंधन में बंध जाएं,
दो छोटी - छोटी नाजुक धागों को अमर कर जाएं।
जिन बहनों की हो नहीं,उनकी भाई अब बन जाएं,
इनकी सुरक्षा है खतरे में,आओ हम ढाल बन जाएं।
मुंह छुपाए बैठे, नेता और वरिष्ठ, पत्थरदिल जगाएं,
बहनों के सम्मान में,एक ऐसा हम अभियान चलाएं।
जिन बहनों को लगती है कि उनका कोई भाई नहीं,
उनके इस कमी और मन की कमजोरी को भगाएं।
राखी का त्यौहार ही सही,आओ प्रेम का संदेश बढ़ाएं,
नारी सुरक्षा सम्मान खातिर, एकता प्रतीक बन जाएं।
राखी के पवित्र वादों की , धारदार तलवार बन जाएं,
प्रेम बंधन की युगों की , रिश्ते को हम आज निभाएं,
जन्म शुरू हुई प्रेम से प्रेम में भले ही हम मिट जाएं।
पर आओ,प्रेम बंधन की  इतिहास  में अलख जगाएं,
वर्तमान युग में हुए कलंकित न,ऐसी विश्वास जगाएं।
हर भाई पर बहनों की फिर से अविरल विश्वास जगाएं,
आओ प्रेमसे राखी के बंधन में फिर एक बार बंध जाएं।।

            ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ✍

                    मुंगेली छत्तीसगढ़
                    ८१२००३२८३४
                    ७८२८६५७०५७

दसनाम गोस्वामी समाज युवा रत्न सम्मान

पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी जी महाराज, भारतीय दसनाम गोस्वामी युवा रत्न से सम्मानित

Wednesday, August 22, 2018

छत्तीसगढ़ महतारी महिमा

धरती के अंगना मा सुरूज के जोति पहिली आथे जोरदार,

बिहना बिहना तरिया,के पानी,चमके जइसे हीरा के हे हार।
किसान जागे रहिथे फेर ओला देख के लजाथे सुरूजदेव,
नहा धो सबलेे, पहिली पूजा होथे राजिम,अऊ भोरमदेव।
जूर-मिल खेती-बाड़ी जाथें,कमल कस कोमल इँहा पीरित,
सातोंस्वर चित्रकोट मा उठे, छिड़गे खैरागढ़ मा मधुर संगीत। 
जून्ना झगरा भूलाके,नवा बूता संगे करे,जइसे बिहना के शीत,
एक दूसर ला बंटाथें हाथ, अइसे तो होथे इँहा मया पीरित।।
शबरी आश्रम इँहा प्रसिद्ध,राम बोइर खाये जूठा मिठास,
श्रृंगि के,कमंडल अइसन,महानदी के रचे गजब इतिहास।
मैकाल फईले हे, गंगरेल हे अथाह, मने रतनपुर में उछाह,
देथे अभी ले मयूरध्वज के नगरी, जऊंहर भक्ति के राह।।
धरम के नाम मा होवत बलि ,कंतेली में होगे अब तो  बंद,
देथे शांति के संदेशा, एकता के रंग, बस्तर मेला के आनंद।
आगर के निर्मल ये बहाव भइया,बावा बुड़ान में गे बड़ झूम,
राजा बनके भिखारी,प्रजा के,सुख दुख देखे तो घर-घर घूम।
कोरबा के कोईला,आमा-बोइर के खोईला,खाथें पूरा देश,
चिल्फी के घाटी, मैनपाट के दर्शन,कोनो रहे झैन अशेष।
नंदन,कानन पेंडारी,अब जंगल सफारी,अऊ अचानकमार,
हसदेव,सोंढूर के धार,ऊपर ले हांफ,कोनो संगम रहे न उधार।
छत्तीस राजा के छत्तीस ठन किला,सबो के बड़े बड़े मंदिर,
आदिवासी संस्कृति, दुनिया भर के जून्ना, सभ्यता के अमीर।
मल्हार सभ्यता, पचराही सभ्यता,सुंदर रतन के गज किला,
बोबरा,अईरसा,ठेठरी-खुरमी,चौंसेला,मिठाथे अड़बड़ चिला।
पांडव निर्मित श्वेतगंगा राममंदिर, बड़ जून्ना हावे दुनिया में,
दूधाधारी के मंदिर,बड़ शांति देथे,चाहे रहे घाम मँझनिहा में।
मल्हार मे सुघर बिहान, अकबर करे जिंहा ले बड़ उजार,
रतन मिले इँहा के सोनाखान, स्टील ले चमके जग संसार।
छत्तीसगढ़ में आके दीदी-भइया, घुटे अंग्रेज घलो के दम,
हमर जन्मभूमि अइसन ये,कुछु नि हन कखरो ले तो कम।
जातिपात नइये भइया, तिहार बंटे सबो में सुघर मीठा खीर, 
अपन के पीरा समझइयाँ इँहा हे,अऊ नारायण असन वीर।
अरपा पैरी, शिवनाथ कस नदिया,जंगल झाड़ी नइ कटान,
कोन गुजराती कोन बिहारी, सबो रहे,जईसे हितवा मितान।
धान के कटोरा,पऊरसे सबला,कोनो भूँखे रहे अब तो झन,
बोली में गुरतुर, वचन के पक्का, एकदम सिधवा तो हमन।
ओही छाता पहाड़, इँहें के भइया जिहाँ बाबा बाँटें गियान,
बने बने हे जम्मो तिहार,अइसे लागे, एके महतारी के संतान।
हमर बड़ गौरव हे भइया ,माई,रतनपुर अऊ दाई,डोंगरगढ़।
सबले बढ़िया कहाथे, दुनिया में ,हमर सुघर दाई छत्तीसगढ़।।
      जय जोहार जय छत्तीसगढ़

  ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
        "छत्तीसगढ़िया राजा"
           मुंगेली-छत्तीसगढ़
           8120032834
           7828657057
khemeshwarpurigoswami@gmail.com

केरल पर व्यंग्य

लाशों का अम्बार लगा है, सड़क अटी है केरल में।
बाढ़ भयानक , पानी पानी, बादल फटी है केरल में।।
ईश्वर का अभिशाप लगा है, सहन करो चुपचाप इसे।
भूल गये क्या बीच सड़क पर गाय कटी है केरल में ।।

✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
मुंगेली महाराज - छत्तीसगढ़
           साभार:-
श्री ज्ञानेन्द्र गिरि, देहरादून
       95578 54847

Monday, August 20, 2018

मेरठ कांड पर गोस्वामी वार

छेड़खानी का विरोध जो करती हैं, बच्चियां,
                    दरिंदगी ये अपना उनपे ही बरसाते हैं।
अय्यासी पूरी जो ये,नहीं करती हैं, बच्चियां,
              सड़कों पे जिंदा भी, जलायी ये ही जाती हैं।।
कुछ खास नहीं किया था, सर्वज्ञाता रावण ने,
                पुतला फिर भी तो ये उन्हीं का जलाते हैं।
दूसरों की बहन,बेटी खूद ही है छेड़ते,और,
             सरकार अपनी ये,नारी सुरक्षा,की बताती हैं।।
अब ऐसा लगता है,संविधान में नई धारा लिख,
                    एक नया इतिहास अब तो बनाना होगा।
बलात्कारियों को भी खुलेआम धिक धिक, 

                      अग्नि कुण्ड में अब तो जलाना होगा।।

आंचल पीछे छुपी ममता,अनल रूप धर,
              कालिका रूप अब तुम्हीं को जगाना होगा।
समाज, नेता, कानून किसी पे भरोसा न कर,
             चण्डी बन इनके अस्तित्व को मिटाना होगा।।

              ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
                       मुंगेली-छत्तीसगढ़
                       ८१२००३२८३४
                       ७८२८६५७०५७

हनुमत स्तुति

जै हनुमान कृपा के निधान सुजान करौं विनती कर जोरी,
श्री रघुनाथ के प्रिय पात्र कृपा कर नाथ करवो मम ओरी।
राम चरित्र चहौं कछु भासण कीजै सहाय कृपा निधि मोरी,
चूक विसार करो हिय वास यह दास सदा शरणा गति तोरी।।

✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
       मुंगेली - छत्तीसगढ़
        7828657057

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...