Monday, November 26, 2018

कुछ नगमें

१:-मेरा दिल जलाने वाले,मेरा दिल जला के रोए,

मुझे आजमाने वाले,मुझे तो आजमा के रोए,

मेरे सामने से गुजरे,पर मेरा हाल भी ना पूछा,

मैं यकीं करूं तो कैसे, के वो दूर  जा के  रोए।

२:-ज़रा सी बात देर तक रूलाती रही,
खुशी में भी आँखें आँसू बहाती रही,
कोई खो के मिल गया तो कोई मिल के खो गया,
ज़िंदगी हम को बस ऐसे ही आजमाती रही।

३:- सड़क पर फेंक दो जिसको खतरा नहीं रहता
गरीबों की हिफाजत में कभी पहरा नहीं रहता
खुशी जिसको नहीं मिलती है कभी इस जमाने में
उसी इन्सान का चेहरा कभी उतरा नहीं रहता।

४:-सच्ची है मेरी मोहब्बत, आज़मा के देख लो;
करके यकीन मुझपे मेरे पास आ के देख लो;
बदलता नहीं सोना कभी भी यहां,अपना रंग;
जितनी बार दिल करे आग लगा के देख लो।

५:-चाँद से अपना प्रेम लिखूँ या निंदिया से अपना बैर लिखूँ....
तुम तो इस दिल के धड़कन हो फिर तुमको भी कैसे गैर लिखूँ.......
होठों  पे  वही  ख़्वाहिशें, आँखों  में  हसीन अफ़साने हैं..
तू अब भी एक मदहोश गज़ल, हम अब भी तेरे दीवाने हैं.....

६.मैं सर ऐ बाजार बेचता रहा झुमकों का गुच्छा

वो एक नथनी पहने नाक में,  मेरा दिल ख़रीद ले गयी...!!!                                             

मेरे श्याम

बाते तो बहुत हैं दिल में यूं कहने को,
कोई जगह और नहीं है अब रहने को
दूर जाओ न श्याम छोड़ के तन्हां हमें,
खड़ी दोपहरी की अंधियारा सहने को।

"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
     मुुंगेली छत्तीसगढ़

Tuesday, October 9, 2018

शुभ नवरात्रि

क्या है पापी क्या है घमंडी,
मां के दर पर सभी शीश झुकाते है,
मिलता हैं चैन तेरे दर पर मैया,
झोली भर के सभी जाते है,
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हमको या इंतजार घडी आ गई,
होकर सिंह सवार माता रानी आगई,
होगी अब मन की हर मुराद पूरी,
भरने सारे दुःख माता अपने द्वार आ गई,
🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Friday, September 21, 2018

ए चीन सुन और पाकिस्तान

ए चीन सुन और पाकिस्तान से भी जा करके कह देना।

भारत ने अब दिए छोड़,हजार जुल्मों सितम  सह लेना।।

गर बार कभी अब सीमा पर, आतंक के हथियार दिखे।

दोनों को साथ जला कर,राख में मिला न दी तो कह लेना।।


दिन हुए बहुत हैं जो शौर्य  के,वो भी तुमको दिखला देंगे।

प्रीत रखोगे हमसे तो हम तुमको, मोहब्बत सिखला देंगे।।

भाई भाई में मजहब की,लड़ाई,गर तुम करने की सोचोगे।

परशुराम सा भड़क उठे जो,क्षण में मिट्टी में भी मिला देंगे।।


हममें राम सी मर्यादा है,तुम मोहम्मद गौरी सा भड़कीले हो।

हममें कृष्ण सा प्रेम भरा, और तुम बाणासुर से सर्पीले हो।।

भूल बैठे हो शायद इतिहास हमारा, महाभारत सी गाथा है।

जब ब्रह्मास्त्र चल गया कहीं,ना बचोगे चाहे कवच नुकीले हो।।

                  ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                             मुंगेली - छत्तीसगढ़
                              ७८२८६५७०५७
                              ८१२००३२८३४

छत्तीसगढ़ में किसान रोवत हे

धान के कटोरा कहईया ,छत्तीसगढ़ में किसान रोवत हे ।
कोचिया मन के भला करत हे, कमईया हर इँहा रोवत हे ।।

किसान के रंग पिऊंरा पड़गे,नेता मन के रंग गुलाबी।
कोठार हर सुन्ना होगे अऊ,देख नेता मन के हरियाली।।

मंडी में बनिया हर हांसत,खेतिहर के मेहनत रोवत हे।
धान के कटोरा कहईया ,छत्तीसगढ़ में किसान रोवत हे।।१।।

जबले छत्तीसगढ़ अलग होए हे, सरकार न भाए संगी।
कीमत निर्धारण के नीति ,कभू तो रास नही आए संगी।।

कर्जा बाढ़े लदात जावत हे, गांव गली के मान रोवत हे।
धान के कटोरा कहईया ,छत्तीसगढ़ में किसान रोवत हे।।२।।

शहर के बड़े आदमी हांसत हे,देख गांव के छानही ला।
हमेशा मुर्छा खाए जिंहा अब, सरकार छले मान ही ला।।

जलत किसान के लाश ला,देख संगी शमशान रोवत हे।
धान के कटोरा कहईया ,छत्तीसगढ़ में किसान रोवत हे।।३।।

भाषण बाजी सुनत बस होगे, हमन ल तो उन्नीस साल ले।
कोनो अईसे काम नि करिस जे,ऊपर उठाए ए जंजाल ले।।

नेता के  मीठलबरा भाषण में,"खेमेश्वर" उत्थान रोवत हे।
धान के कटोरा कहईया , छत्तीसगढ़  में  किसान रोवत हे।।४।।

           ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                    ओज-व्यंग्य/गीतकार
                      मुंगेली - छत्तीसगढ़
                       ७८२८६५७०५७
                       ८१२००३२८३४

Thursday, September 20, 2018

मां को समर्पित एक प्रयास

माँ बापू से बिछड़ कर गमगीन हो रहा हूँ ,
यादों में उनकी घायल मैं आज रो रहा हूँ !

अब कौन होगा मुझको वो प्यार दे सके जो ,
बाहों में ले के मुझको वो दुलार दे सके जो !

दिल में जो दर्द है वो अब मैं किसे दिखाऊँ ,
जाने कहां गये वो उनको कहाँ से लाऊँ !

तपिश मेरे बदन की माँ सह नहीं पाती थी ,
जाने वो कौन कौन से देवों को मनाती थी !

मेरे लिये न जाने कितनी ही नींदें खोयी ,
मेरी तड़प पे जाने वो कितनी बार रोयी !

अब याद आ रहा है बचपन मेरा सुहाना ,
माँ के ही हाथों खाना दे थपकियाँ सुलाना !

रोता था जब भी , मुझको गा लोरियां सुलाती ,
सोकर के पास मेरे सीने से वो लगाती !

गर्मी में रात भर वो पंखा मुझे झुलाना ,
सुबहा को नींद में ही रोटी दही खिलाना !

घुटनों के बल चला फिर उंगली पकड़ चलाया ,
हर इक बला से मुझको माँ ने सदा बचाया !

बारिश में भीगने से वो मुझको रोकती थी ,
सोहबत खराब होने से मुझको टोकती थी !

माँ का वो प्यार इतना मुझे याद आ रहा है ,
दरिया सा आँसुओं  का बहता ही जा रहा है !

माँ  ही  जमीं  थी  मेरी  बापू  जी आसमां थे ,
भगवान, गॉड , ईश्वर  वो  ही  मेरे खुदा थे !

दोनो  चले  गये अब  एकाकी  रह रहा  हूँ ,
यादें  ही   रह. गयी  हैं  बस  उनमें बह रहा हूँ !

एक बार काश मुझको माँ मेरी  मिल ही जाये ,
बाहों मे भर के मुझको सीने से तो वो  लगाये !

           ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                     मुंगेली - छत्तीसगढ़
                      ७८२८६५७०५७
                      ८१२००३२८३४

‎ ‏जब तक इस धरती पर पैदा,फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा ॥

सूरज कॆ वंदन सॆ पहलॆ,धरती का वंदन करता था,
इसकी पावन धूल उठा,माथॆ पर चन्दन धरता था,
भारत की गौरव गाथा का,ही गुण-गायन करता था,
आज़ादी की रामायण का,नित पारायण करता था,

संपूर्ण क्रांन्ति का भारत मॆं,सच्चा जन नाद नहीं हॊगा ॥
जब तक इस धरती पर पैदा,फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा ॥१॥

भारत माँ का सच्चा बॆटा,आज़ादी का पूत बना,
उग्र-क्रान्ति की सॆना का वह,संकट मॊचक दूत बना,
आज़ादी की खातिर जन्मा,आज़ादी मॆं जिया मरा,
गॊली की बौछारॊं सॆ वह,बब्बर शॆर न कभी डरा,

कपटी कालॆ अंग्रॆजॊं का खत्म,कुटिल उन्माद नहीं हॊगा ॥
जब तक इस धरती पर पैदा,फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा ॥२॥

सॊनॆ की चिड़िया कॊ गोरे,खुलॆ आम थे लूट रहॆ,
इसी सिंह के गर्जन सॆ थे,उनकॆ छक्कॆ छूट रहॆ,
उस मतवालॆ की सांसॊं मॆं,आज़ादी थी आज़ादी,
हर बूँद रक्त की थी जिसकी,आज़ादी की उन्मादी,

भारत की सीमाऒं पर कॊई,निर्णायक संवाद नहीं हॊगा ॥
जब तक इस धरती पर पैदा,फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा ॥३॥

अधिकारॊं की खातिर मरना,सिखा गया वह बलिदानी,
स्वाभिमान की रक्षा मॆं दॆनी पड़ती है कुर्वानी,
मुक्त-हृदय सॆ हम सब उसका,आओ अभिनंदन कर लॆं,
भारत माँ कॆ उस बॆटॆ कॊ,हम शत-शत वन्दन कर लॆं,

यह राष्ट्र-तिरंगा भारत का,तब तक आबाद नहीं हॊगा ॥
जब तक इस धरती पर पैदा,फिर सॆ आज़ाद नहीं हॊगा ॥४॥

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...