Saturday, January 26, 2019

नगमे कुछ और है

१:एक जुर्म हुआ है हम से एक यार बना बैठे हैं
कुछ अपना उसको समझ कर सब राज़ बता बैठे हैं
फिर उसकी प्यार की राह में दिल ओर जान गवा बैठे हैं
वो याद बहुत आते हैं जो हुमको भुला बैठे हैं

२: मेरे वजूद मे काश तू उतार जाए
मे देखु आईना ओर तू नज़र आए,
तू हो सामने और वक़्त ठहर जाए,
ये ज़िंदगी तुझे यू ही देखते हुए गुज़र जाए..

३: मुझे किसी कि ज़रूरत नहीं … सिवाए तेरे
मेरी नज़र को तलाश जिसकी बरसों से … किसी के पास वो सूरत नहीं … सिवाए तेरे
जो मेरे दिल और ज़िन्दगी से खेल सके …. किसी को इतनी इजाजत नहीं … सिवाए तेरे

४: प्यार मोहब्बत है नफरत नही,
प्यार इक़रार है तकरार नही,
प्यार हकीकत है ख्याल नही,
हर कोई प्यार को समझ नही सकता क्यूं की,
प्यार एहसास है अंदाज़ नही…

५: ख़्याल उसका हर एक लम्हा मन में रहता है....

वो शमा बनके मेरी अंजुमन में रहता है~

कभी दिमाग में रहता है ख़्वाब की मानिंद

कभी वो चाँद की सूरत सा , गगन में  रहता है......

७० वें गणतंत्र दिवस

चलो फिर से आज वो नजारा याद करले,

शहीदों के दिलो में थी वो ज्वाला याद करले,

जिसमे बहकर आजादी पहुची थी किनारे पे,

देशभक्ति के खून की वो धारा याद करले....!!

जय हिन्द वन्देमातरम् 🇮🇳

Thursday, January 24, 2019

बेटियों को समर्पित

बेटी  निकलती  है  तो 
कहते  हो  छोटे  कपडे 
पहन  कर  मत  जाओ.
पर   बेटे  से  नहीं  कहते 
हो  कि  नज़रों  मैं  गंदगी
मत  लाओ.

बेटी  से  कहते  हो  कि
कभी   घर  कि  इज्जत
ख़राब  मत  करना.
बेटे  से  क्यों  नहीं  कहते
कि  किसी  के   घर  कि
इज्जत से  खिलवाड़  नहीं  करना.

हर  वक़्त  रखते  हो   नज़र 
बेटी  के  फ़ोन  पर.
पर ये  भी  तो   देखो  बेटा 
क्या  करता  है  इंटरनेट  पर.

किसी  लड़के  से  बात करते  देखकर 
जो   भाई  हड़काता  है.
वो ही   भाई  अपनी  गर्लफ्रेंड के  किस्से  घर  मैं  हंस   हंस  कर  सुनाता  है .
 
बेटा  घूमे   गर्लफ्रेंड के  साथ  तो  कहते  हो  अरे  बेटा  बड़ा  हो  गया  .        
बेटी  अपने  अगर  दोस्त से  भी 
बातें  करें  तो  कहते हो  बेशर्म  हो  गयी.

"पहले  शोषण   घर  से  बंद  करो 
तब  शिकायत  करना समाज  से".
       
हर   बेटे  से  कहो  कि
हर   बेटी  कि  इज़ज़त  करे 
आज  से।

#०००१

१:-वो छत पर चढे पतंग उड़ाने के बहाने
     बाजु वाली भी आई
                   कपड़े सुखाने के बहाने
बीवी ने देखा ये हसीन नजारा
         वो डंडा ले आई
                     बन्दर भगाने के बहाने ।

२:-हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए;
              गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए; मंजील हमारी,हमारे करीब से गुजर गयी;
          हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए..!

३:-नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,
            और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में!!
तुम्हारी दिल्लगी देखो, हमारे दिल पर भारी है,
   तुम तो चल दिए हंसकर,यहाँ बरसात जारी है!

४:-तमुझे चाहो अगर तो लिख दो इश्क़ मेरी तक़दीर में
​तुमसे खूबसूरत स्याही तो जन्नत में भी नहीं होगी !!
इतना "आसान" नहीं है "शायरी" "लिखना"
सब कुछ "लिखना" है.वो भी "सबकुछ" "छुपाकर".

५:-_ख़्वाबों की उम्र बहुत छोटी_होती है..._

_आँखे खुल जाए तो_मंज़र कुछ और ही होता है...!_

६:-मिले न फूल तो काटों से जख्म खाना हैं,
                 उसी गली मे मुझे बार बार जाना है,
मैं अपने खून का इल्जाम दू तो किसको दू,,
             लिहाज ये है कि कातिल से दोस्ताना हैं

७:- ना मेरा दिल बुरा था
                        ना उसमें कोई बुराई थी ,
     सब नसीब का खेल है
                      बस किस्मत में जुदाई थी।

८:-अपने क़दमों के निशान मेरे रास्ते से हटा दो,
कहीं ये ना हो कि मैं चलते चलते तेरे पास आ जाऊं।
सुलगती रेत पर पानी की अब तलाश नहीं.,
मगर ये कब कहा हमने कि हमें प्यास नहीं " !!

९:- कभी तुम मुझे करीब से आ के देखना,,
           ऐसे नहीं जरा और पास आ के देखना।।
मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ
               मुझे कभी सीने से लगा कर देखना।।
मैं तुम्हे अश्कों की कतार में नजर आऊँगा
           मेरी याद में कभी आँसू बहा के देखना।।
मेरी ग़ज़ल पढ़ कर भी तुम पर असर ना हो,,
       तो लोगों को मेरी  ग़ज़ल सुना कर देखना।।

Tuesday, January 22, 2019

कुछ तुच्छ मुक्तक

तय करना था एक लंबा सफर पर कोई हमसफ़र नहीं था…
मुजपे आते जाते मौसमों का कोई असर नहीं था…
क्या खूब मिलिथी उनसे मेरी नज़र किसी रोज,
अब न मिले वो एक पल भी, तो हमको सबर नहीं था…

क्यों हम किसी के खयालो में खो जाते है,
एक पल की दुरी में रो जाते है,
कोई हमें इतना बता दे की, है ही ऐसे है,
या प्यार करने के बाद सब ऐसे हो जाते है…

सुर्ख गुलाब सी तुम हो, 
जिन्दगी के बहाव सी तुम हो, 
हर कोई पढ़ने को बेकरार, 
पढ़ने वाली किताब सी तुम हो।

अपनी तो ज़िन्दगी ही अजीब कहानी है,
जिस चीज़ की चाह है वो ही बेगानी है,
हँसते भी हैं तो दुनिया को हँसाने के लिए,
वरना दुनिया डूब जाये इन आंखों में इतना पानी है..

पावन प्रेम अगर महकेगा,
               तो मन चंदन हो जाएगा !
नारी "राधा " हो जाएगी
            नर "मनमोहन" हो जाएगा !     
"तन " को चाहे जितना रंग लो
                 कोई फर्क नही होगा....
"मन " को जिस दिन रंग लोगे
                मन वृंदावन हो जाएगा !!

Tuesday, January 15, 2019

क्या क्या देखूं

भूल कर तुझ को भरा शहर भी तन्हा देखूँ...
याद आ जाए तो ख़ुद अपना तमाशा देखूँ...

मुस्कुराती हुई इन आँखों की शादाबी में...
मैं तेरी रूह का तपता  हुआ सहरा  देखूँ...

इतनी यादें हैं कि जमने नहीं पाती है नज़र...
बंद आँखों के दरीचों से मैं क्या क्या देखूँ...                                       

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...