Friday, April 24, 2020

कोरोना

विदेशी लहर से कहर छा गया है।
शहर की हवा में जहर आ गया है।।

अब गाँव की ओर लौटो सपूतों।
तज अपनी मिट्टी नगर भा गया है।।

पहचान लो कर्म अपना सुपावन।
बैलों की जोड़ी डगर पा गया है।।

मशीनीकरण ने मिटायी है मेहनत।
सुविधापरक ये मगर आ गया है।।

घर में रहकर भजो नाम हरि का।
कोरोना का संकट अगर आ गया है।।

         © "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

परसुराम के वंशज जागो,तुम्हें जगाने आया हूँ ।।

परसुराम के वंशज जागो,,
*******************

चारों ओर कुहासा छाया,कूटनीति का डेरा है,
वेद शास्त्र व्रत नीति नियम को,काल चक्र नें घेरा है,
कितनें पंडित छोड़ जनेऊ,शिखा कटाये घूम रहे,
ब्रह्म वंश के कितनें बेटे,मदिरा पी कर झूम रहे,
नीतिशास्त्र का दिन दिन होता,क्षरण दिखाई देता है,
शान्ति और मर्यादा का नित,हरण दिखाई देता है,
मौनव्रती बनकर रहनें से,अधिकार नहीं मिल सकता,
जुगनूँ के पीछे चलनें से,उजियार नहीं मिल सकता,

निज पौरुष को पहचानों तुम,याद दिलाने आया हूँ ।।
परसुराम के वंशज जागो,तुम्हें जगाने आया हूँ ।।(1)

वेद ऋचाएँ लिखकर तुमनें,शोध जगत को बाँटे हैं,
किन्तु तुम्हारे ही गालों पर,पड़े अधर्मी चाँटे हैं,
सुख वैभव को त्यागा तुमनें,संस्कृति का सम्मान किया,
वेद ब्रह्म के ज्ञाता होकर,कभी नहीं अभिमान किया,
जिनको पाठ पढ़ाया तुमनें,भाग्य तुम्हारा जाँच रहे,
बैशाखी पर चलनें वाले,चढ़े शीश पर नाच रहे,
घात लगाये बैठे तुम पर,चौकन्ने मक्कार सभी,
अभी नहीं यदि जागे तुम तो,खो दोगे अधिकार सभी,

वर्तमान की यह सच्चाई,तुम्हें बताने आया हूँ ।।
परसुराम के वंशज जागो,तुम्हें जगाने आया हूँ ।।(2)

निज आन बान मर्यादा का,पूरा पूरा ध्यान रखो,
शीश भले कट जाये लेकिन,शीर्ष सदा अभिमान रखो,
बनों शास्त्र के मूलक लेकिन,अस्त्र शस्त्र का ज्ञान रखो,
अहंकार को पीना सीखो,पर स्वाभिमान का भान रखो,
बनों शान्ति के पथगामी पर,क्रांति पुत्र भी बनें रहो,
अनाचार के सम्मुख हर क्षण,सीना तानें तनें रहो,
वेद शास्त्र संस्कृति का तुमको,आन बचाकर रखना है,
राष्ट्र,धर्म,तप,योग व्रतों का,मान बचाकर रखना है,

कविता का इक दीप जलाकर,राह दिखानें आया हूँ ।।(3)
परसुराम के वंशज जागो,तुम्हें जगाने आया हूँ ।।

जीना मरना अटल सत्य है,मन से भय को त्यागो,
चलो सत्य के पथगामी बन,नहीं कर्म से तुम भागो,
तुमको पंगु बनानें खातिर,मानव घात लगाये हैं,
कदम कदम पर व्यवधानों के,दानव घात लगाये हैं,
कितना दमन सहोगे अब तो,शोषण का प्रतिकार करो,
विप्र वंश के बेटे हो तो,चलो उठो हुंकार भरो,
निज अधिकार छीनना सीखो,भीख किसी से मत माँगो,
सोए हुए सपूतों अब तो,कल्पित निद्रा से जागो,

बंजर होती वीर भूमि पर,शौर्य उगानें आया हूँ।।(4)
परसुराम के वंशज जागो,तुम्हें जगाने आया हूँ ।।

                   
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

गहरा_ज्ञान


*⚜गहरा_ज्ञान✍️*

*एक नदी 🌊में बाढ़ आती है, छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा एक चूहा🐀 कछुवे🐢 से कहता है मित्र*
*" क्या तुम मुझे नदी पार करा सकते हो मेरे बिल में पानी भर गया है ??*
*कछुवा🐢 राजी हो जाता है तथा चूहे 🐀को अपनी पीठ पर बैठा लेता है✍️*
*तभी एक बिच्छु🦂भी बिल से बाहर आता है।*
*कहता है मुझे भी पार जाना है  मुझे भी ले चलो,*

*चूहा🐀 बोला मत बिठाओ ये जहरीला है ये मुझे काट लेगा।*
*तभी समय की नजाकत को भांपकर बिच्छू🦂 बड़ी विनम्रता से कसम खाकर प्रेम प्रदर्शित करते हुए कहता है : भाई कसम से नही काटूंगा बस मुझे भी ले चलो।"*

*कछुआ🐢 चूहे🐀 और बिच्छू🦂 को ले तैरने लगता है।*
*तभी बीच रास्ते मे बिच्छु🦂 चूहे🐀 को काट लेता है।*
*चूहा🐀 चिल्लाकर कछुए🐢 से बोलता है "मित्र इसने मुझे काट लिया अब मैं नही बचूंगा।"*

*थोड़ी देर बाद उस बिच्छू🦂 ने कछुवे🐢 को भी डंक मार दिया। कछुवा🐢 मजबूर था जब तक किनारे पहुंचा चूहा🐀 मर चुका था।।*

*कछुआ🐢 बोला "मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया"*
*मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया ?*
*बिच्छु🦂 उसकी पीठ से उतरकर जाते जाते बोला "मूर्ख तुम जानते नही मेरा तो धर्म ही है डंक मारना चाहे कोई भी हो।"*
*गलती तुम्हारी है जो तुमने मुझ पर विश्वास किया।।*
*ठीक इसी तरह*
*कोरोना की इस बाढ़ में सरकार ने भी नदी पार करवाने के लिए कुछ बिच्छुओं🦂🦂🦂 को पीठ पर बिठा लिया है।*
*वे लगातार डंक मार रहे है और सरकार इन्सानियत की खातिर मजबूर हैं ।।*
*फलस्वरूप*
*हर रोज बेचारे निर्दोष डॉक्टर,पुलिस,और स्वास्थ्यकर्मी पिट ओर मर रहे हैं✍️🎪*

                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

Thursday, April 23, 2020

व्यवहार



      👉 *व्यवहार* 👈

*एक सभा में गुरु 👳 जी ने प्रवचन के दौरान 🤔 एक ३०  वर्षीय युवक 🙍🏻‍♂️को खडा कर पूछा कि  👉 आप मुम्बई मेँ जुहू चौपाटी पर चल रहे हैं और सामने से एक सुन्दर लडकी 🚶🏻‍♀️आ रही है तो आप क्या करोगे ?* 😞

*युवक 🙍🏻‍♂️ ने कहा - उस पर नजर जायेगी, उसे देखने लगेंगे।* 😋

*गुरु जी 👳ने पूछा - वह लडकी आगे बढ गयी 🏃‍♀️तो क्या पीछे मुडकर भी देखोगे ?*

*लडके 🙍🏻‍♂️ने कहा - हाँ, अगर धर्म पत्नी साथ नहीं है तो। 👫 (सभा में सभी हँस पडे)* 😀

*गुरु जी 👳 ने फिर पूछा - जरा यह बताओ वह सुन्दर चेहरा 👩‍⚕️आपको कब तक याद रहेगा ?*

*युवक ने कहा ५-१० मिनट तक, जब तक कोई दूसरा सुन्दर चेहरा सामने न आ जाए।* 😳

*गुरु जी 👳 ने उस युवक से कहा - अब जरा सोचिए❗️*

*आप जयपुर से मुम्बई जा रहे हैं और मैंने आपको एक पुस्तकों 📚 का पैकेट देते हुए कहा कि मुम्बई में अमुक महानुभाव 👨🏻‍⚕️ के यहाँ यह पैकेट पहुँचा देना।*

*आप पैकेट देने मुम्बई में उनके घर गए❗️*

*उनका घर देखा 🏠 तो आपको पता चला कि यह तो बडे 🎅 अरबपति हैं।*

*घर के बाहर ८-१० गाडियाँ 🚘🚖🚔.... और ५-६ चौकीदार 👤👤👤... खडे हैं। आपने पैकेट की सूचना अन्दर भिजवाई तो वह महानुभाव स्वयं बाहर आए❗️ आप से पैकेट लिया,  आप जाने लगे तो आपको आग्रह 👏करके घर में ले गए। पास में बैठकर गरम खाना खिलाया। जाते समय आप से पूछा 🗣 किसमें आए हो ? आपने कहा- लोकल ट्रेन में। उन्होंने ड्राइवर को बोलकर आपको गंतव्य तक पहुँचाने के लिए कहा और आप जैसे ही अपने स्थान पर पहुँचने वाले थे कि, उस अरबपति महानुभाव का फोन आया - "भैया, आप आराम से पहुँच गए।"* 🌺🙏👋

*अब आप बताइए कि आपको वह महानुभाव कब तक याद रहेंगे ?*

*युवक ने कहा - गुरु जी ! जिंदगी में मरते दम तक उस व्यक्ति को हम भूल नहीं सकते।  😢*

*गुरु जी ने युवक के माध्यम से सभा को संबोधित करते हुए कहा*👉

*"यह है जीवन की हकीकत।"*👏

 *"सुन्दर चेहरा 👩‍⚕️ थोड़े समय ही याद रहता है❗️ परंतु हमारा सुन्दर व्यवहार 👏👏 जीवन भर याद रहता है।"*

*अतः  जीवन पर्यन्त अपने व्यवहार को सुन्दर बनाते रहिए ❗️ फिर देखिए आपने जीवन का रंग‼️*

🚩सनातन संस्कृति का यह आधार है 👉 अतिथि देवों भव:। 👏 

*जो मानवीयता का आधार है।मानवीय व्यवहार ही चिर स्मरणीय रहता है। आगामी जन्म मानव जन्म के हेतु का भी संकेत देता है। मानव कृति श्रेष्ठ है। सनातनी मानव परम श्रेष्ठ है। जहां कर्म पुनर्जन्म श्रेष्ठ कुल बंश परिवार का हेतु बनता है। प्रकृति भी सनातनी मानव को प्रेम से आहल्लादित रखती है।* 💐👏🚩

*जय हिंदू 🚩 जय भारत*
🚩🚩 🏹⚔️🔱 🚩🚩

*सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की शुभ मंगल कामना 🙏🏻⛳वंदेमातरम_🙏🏻😊⛳*

                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

निखार

निखार 
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तुझसे मेरी खुशियो मे रहता निखार है 
यही तो तेरा  प्यार है ।

बेकरारी आँखों मे लिये दिल को रहता 
बस तेरा इंतज़ार है।

करार  पाने  को दिल  ने हमको  किया 
बहुत बेज़ार है।

तुझसे दिल  को है  बेपनाह प्यार  तभी 
तो रहता तकरार है।

न   कोई   मायूसी   न  उलझने  रखिये 
कोशिशें जाती नही कभी बेकार है।

अक्ल और हिम्मत से पाते है हर मंजिल 
ए  चाहत  और  दिल  ए  सुकूँ  जो होते 
दिलेर और समझदार है।

मोहबब्त में फसाद और जंग कभी होते 
नही  जो   सनम  को  मान  लेते अपना 
खुदा और सरकार है।
**************
                   
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

धार नहीं संगम हो जाते

धार    नहीं    संगम  हो  जाते 
चोट   नहीं   मरहम  हो  जाते 

बन सकती थी अपनी कहानी 
तुम  जो मेरे हमदम  हो  जाते 

 जान   खुशी   से  दे  देता  मैं 
तुम जो  गर  जानम  हो जाते 

हाँथ   पकड़    लेते  जो  मेरा
तो   काँटे  कुछ  कम हो जाते 

तेरे    एक   तबस्सुम   से   ही 
चूर   मेरे   सब  गम  हो  जाते

तुम   हमको  अपना   लेते तो
दूर    दुखों  से  हम  हो  जाते

                   
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

इनायत है आपने हमें दिल में जगह दी है!


इनायत है आपने हमें दिल में जगह दी है!
जिंदगी को नई सूरत जीने का वजह दी है।

गुजरने दे लम्हें दीया चाह का जलाये फिर!
उल्फत से वास्ता जोड़े वफ़ा ने गिरह दी है।

शबोरात यूँ ढलती जाये रहे न फासला कोई!
मुहब्बत का चाहत फिर नई सी सुबह दी है।

धड़कता था  अक्सर  दिल गम ए जुदाई में!
मिलते ही मिला जीवन खुशी इस तरह दी है।

सजायें आ आशियां हम मन मनसे मिलाये यूँ!
दर्मियां हों एकदूजे के सदा रब ने पनाह दी है।

इनायत है आपने हमें दिल में जगह दी है!
जिंदगी को नई सूरत जीने का वजह दी है।

                   
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...