Wednesday, October 23, 2019

एक लघु कथा, "उम्मीद"

एक सुंदर कहानी

एक घर में *पांच दिए* जल रहे थे *..*.

एक दिन पहले एक *दिए* ने कहा *..*.

इतना जलकर भी *मेरी रोशनी की* लोंगो को *कोई कदर* नहीं है *..*.

*तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं*

वह *दिया* खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया *..*.

जानते है वह *दिया* कौन था?

वह दिया था *उत्साह* का प्रतीक *..*.

यह देख दूसरा *दिया* जो *शांति* का प्रतीक था, कहने लगा-

*मुझे भी बुझ जाना चाहिए*

निरंतर *शांति की रोशनी* देने के बावजूद भी *लोग हिंसा कर* रहे हैं *..*.

और *शांति* का *दिया* बुझ गया *..*.

*उत्साह* और *शांति* के *दिएं* के बुझने के बाद, जो तीसरा *दिया हिम्मत* का था, वह भी अपनी *हिम्मत* खो बैठा और बुझ गया *..*.

*उत्साह*, *शांति* और अब *हिम्मत* के न रहने पर चौथे *दिए* ने बुझना ही उचित समझा *..*.

चौथा *दिया समृद्धि* का प्रतीक था *..*.

सभी दिए बुझने के बाद केवल पांचवां *दिया* *अकेला ही जल* रहा था *..*.

हालांकि पांचवां *दिया* सबसे छोटा था मगर फिर भी वह *निरंतर जल रहा* था *..*.

तब उस घर में एक *लड़के* ने प्रवेश किया *..*.

उसने देखा कि उस घर में सिर्फ एक ही *दिया* जल रहा है *..*.

*वह खुशी से झूम उठा*

चार *दिए* बुझने की वजह से वह दु:खी नहीं हुआ बल्कि खुश हुआ *..*.

यह सोचकर कि *कम से कम* एक *दिया* तो जल रहा है *..*.

उसने तुरन्त पांचवां *दिया* उठाया और बाकी के चार *दिए* फिर से जला दिए *..*.

जानते है वह *पांचवां अनोखा दिया* कौन सा था?

वह था *उम्मीद* का दिया *..*.

इसलिए *अपने घर में* अपने *मन में* हमेशा *उम्मीद का दिया* जलाएं रखिये *..*.

चाहे *सब दिए बुझ जाए* लेकिन *उम्मीद* का *दिया* नहीं बुझना चाहिए *..*.

ये एक ही दिया *काफी* है बाकी सब *दियों* को जलाने के लिए *..*.!!
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

                    आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

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