📌 *बटवारा - एक शानदार फैसला*
पिता - अमर चंद
बड़ा पुत्र - राजेश
मजला पुत्र - सुरेश
छोटा पुत्र - मुकेश
*राजेश -*
"पिताजी ! पंचायत इकठ्ठी हो गई, अब बँटवारा कर दो।"
*सरपंच -*
"जब साथ में निबाह न हो तो औलाद को अलग कर देना ही ठीक है, अब यह बताओ तुम किस बेटे के साथ रहोगे ?"
(सरपंच ने अमरचंद जी से पूछा।)
*राजेश -*
"अरे इसमें क्या पूछना, चार महीने पिताजी मेरे साथ रहेंगे और चार महीने मंझले के पास चार महीने छोटे के पास रहेंगे।"
*सरपंच*
" चलो तुम्हारा तो फैसला हो गया, अब करें जायदाद का बँटवारा !"
*अमर चंद -*
(जो सिर झुकाये बैठा था, एकदम चिल्ला के बोला,)
कैसा फैसला ?
अब मैं करूंगा फैसला, इन तीनो को घर से बाहर निकाल कर "
"चार महीने बारी बारी से आकर रहें मेरे पास ,और बाकी महीनों का अपना इंतजाम खुद करें ...."
*"जायदाद का मालिक मैं हूँ ये नहीं।"*
तीनो लड़कों और पंचायत का मुँह खुला का खुला रह गया, जैसे कोई नई बात हो गई हो.
👌 *इसे कहते हैं फैसला*
*फैसला औलाद को नहीं,*
*मां-बाप को करना चाहिए*
आज कल सभी मां बाप को इसी प्रकार फैसला करना चाहिये ।
🙏 🙏🙏🙏
*सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की शुभ मंगल कामना🌸🌼🙏🏻🌼🌸*
आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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