Monday, September 17, 2018

दसनाम क्या है ?


दसनाम नायक, दसनाम ज्ञानी
दसनाम दाता, दसनाम दानी!

दसनाम है एक अमिट कहानी
दसनाम है सत्यता की वानी!

सकल सृष्टि दसनाम बोले
मेरी दृष्टि दसनाम बोले!

दसनाम राजा सभी हैं भिच्छुक
है सबका हृदय इसी का इच्छुक!

दसनाम पापों को नष्ट कर दे
दसनाम अहं को भ्रष्ट कर दे!

दसनाम प्रतीक एकता  का
दसनाम आनन्द आत्मा का!

दसनाम पूजा की आत्मा है
दसनाम मानव की आस्था है!

न पूछ मुझसे दसनाम क्या है?

दसनाम ही दूत है शान्ति का
जनक यही तो है क्रान्ति का!

दसनाम दाता सहिष्णुता का
दसनाम प्रकाश एकता का!

दसनाम त्रिलोक का है ज्ञाता
दसनाम सागर विनम्रता का!

दसनाम सावन, दसनाम जीवन
दसनाम जल है, दसनाम ही मन!

दसनाम दर्पन, दसनाम उपवन
दसनाम पर है ये प्राण अर्पन!

दसनाम मन्दिर, दसनाम पूजा
दसनाम जैसा कोई न दूजा!

दसनाम जल सा है प्राणदानी
दसनाम नैनों से बहता पानी!

दसनाम जीवित, अजर, अमर है
दसनाम सिंह है, दसनाम नर है!

दसनाम है एक असीम शक्ति
दसनाम है एक अटूट भक्ति!

दसनाम शालीनता का अम्बर
दसनाम सुन्दर, शलभ, मनोहर!

दसनाम मानवता का है योद्धा
अहिंसा की है दसनाम श्रद्धा!

दसनाम हृदय पवित्र कर दे
दसनाम ऊँचा चरित्र कर दे!

दसनाम पर है ये प्राण अर्पित
दसनाम पर आन मान अर्पित!

दसनाम अदभुत्, अमित, उजागर
दसनाम ही है दया का सागर!

दसनाम सुख को अनन्त कर दे
दसनाम दुख का भी अन्त कर दे!

दसनाम दुख का करे निवारण
दसनाम विजयी भवो का कारण!

दसनाम गौरव है भूधरा का
यही विजेता है करबला का!

दसनाम भीतर, दसनाम बाहर
दसनाम पावन, मधुर सरोवर!

दसनाम करूणामयी कथा है
न पूछ मुझसे दसनाम क्या है?

धरम है नौका, दसनाम वाहक
दसनाम ईश्वर का है सहायक!

सुमन सुमन भी दसनाम बोले
गगन गगन भी दसनाम बोले!

दसनाम बुद्धि, दसनाम वृद्धि
दसनाम ही दे रिद्धि सिद्धि!

दसनाम दुर्लभ, सुलभ, सलोना
दसनाम हीरा दसनाम सोना!

दसनाम *"खेमेश्वर"* की ऊर्जा है
न पूछ मुझसे दसनाम क्या है

            रचना -दसनाम पुष्पांजलि          
        ©✍पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✍®
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Sunday, September 16, 2018

विश्वकर्मा जन्मोत्सव पर

देव विश्वकर्मा पांव लागी तोर, दुनिया के बनईया हरस।
जम्मो झन पर दया तोर,तिहिं तो जग के आधार हरस।।

जाये बनाए बर,चाहे,सजाए बर,सबो तोर  ले ही मिलथे।
तोर दया ले जम्मो पनपथे,,फूल कस दिल में तो खिलथे।।

तैं तो सनातन के देवता,तिथि छोड़,तारिख म तैं हर आथस।
जम्मों के मन मा तोर भक्ति,हर दिन ला तो बड़ महकाथस।।

गणाधिपति लम्बोदर के, संग में तो तैं हर विराजे।
माथ मा चन्दन हाथ हथौड़ा छिनी हां तोला साजे।।

तोरेच आरती गाथें बबा, दुनिया के जम्मो नर नारी।
हरदम बने रथे सुघर अब , बबा नित कृपा तिहारी।।

पूजा के संग करव विनय,नि खण्डित हो कोई काम।
एही बेरा ले जय जोहार हे,बिहना ले सबला प्रणाम।।

©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
           मुंगेली - छत्तीसगढ़
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Saturday, September 15, 2018

सांबा के जांबाज शेरों को समर्पित

दिन तीन में तेरह आतंकी,हिन्द वीरों ने मार गिराए हैं।
जहां छायी हुई रहती थी,वो आतंक की रात मिटाए हैं।।

आज फिर से उबाल रक्त में,आकर सिंहों ने गुर्राया है।
मां भारती के लिए शपथ फिर,ऐ वादों को निभाया है।।

ना हुआ कोई,न होने वाला,भारत को जो ललकार सके।
होगी हरदम आतंक की कीमत, जैसे भाव भाजी के टके।।

सदा डटे थे डटे रहेंगे,क्षमता न किसी में जो ये बंध रूकें।
सीना चीर के रख देंगे सदा, लाज बस  कि तिरंगा न झूंके।।

शांत है,तो सोया न समझो, कर शिकार रक्त भी चख लेंगे।
गर नजर गलत वतन पे मेरी,आंखे नोच मिटा के रख देंगे।।

अभी समय जाओ सुधर,नही शिशुपाल से अलग धड़ कर देंगे।
गर अब भी बाज न आओगे, हम कराची भी छीन के रख लेंगे।।

          ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                      ओज-व्यंग्य
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Friday, September 14, 2018

हिंदी दिवस पर

हिंदी है आन बान, हिंदी ही शान।
 हिंदी है रूप रंग, हिंदी ही पहचान।।
जग में मधुर भाषा, एक ही महान।
मन और धन ही क्या,जीवन कुर्बान।।
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
          मुंगेली - छत्तीसगढ़
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हमसे जलने लगे हैं।

जब से उनके सामने, मुझसे कोई और भी मिलने लगे हैं,
कल तक मानते जो अपने थे वो ही दूरियां बढ़ाने लगे हैं।
लोगों के दिल में, मोहब्बत हमारी जो , कुछ छपने लगे हैं,
बू आ रही है,दूर तलक,क्या,सनम भी हमसे जलने लगे हैं।

©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
          मुंगेली - छत्तीसगढ़
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Wednesday, September 12, 2018

युद्ध महाभारत करने दो

ए सिंहासन के धर्मराज सुनो अब,
                 एक बार फिर, महाभारत होने दो।
बहुत हुई सहन शीलता सुनो अब,
                सीमा के हथियार न मुर्छा होने दो।

बांध रखे हो  जो सैनिक बंधन में,
                 उनको तो सिंह नाद फिर करने दो।
बहुत हुई शकुनि जैसै कुटनीति,
                  कृष्ण श्री धर्म युद्ध चाल चलने दो।

कर्ण से दानी और  कब तक रहें,
                 शहीदी दर्द, अपनों के न  सहने दो।
कुर्बानी नही अब सरसैय्या जैसी,
                अभिमन्यु से चक्रव्युह को भेदने दो।

भूल बैठें क्या हम बजरंगी ताकत,
                 बन जामवंत हुंकार भरके हममें दो।
घटोत्कच जैसी क्षमता हर एक में,
                 अब युद्ध नतीजा हमको बदलने दो।

रावण का कब तक प्रवचन सुनें,
                 अब अंगद जैसे  हमें भी भीड़ने दो।
लक्ष्मण सा तो अब नहीं सही पर,
                 श्रीराम सा, मर्यादा में ही, लड़ने दो।

बहुत हुई नापाक की काली रातें,
                  आग्नेय अस्त्र से, नदारत करने दो।
खोल दो  बार एक जंजीर  हमारी,
        फिर क्या ......फिर क्या.........
                 सीमा पार युद्ध महाभारत करने दो।।

           ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                       "ओज-व्यंग्य"
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Tuesday, September 11, 2018

भारत बन्द पर निबंध

भारत बन्द हमारा राष्ट्रीय त्योहार है।देश के सभी राज्यों में मनाया जाता है।बंगाल,बिहार,उत्तर प्रदेश, केरल,मध्यप्रदेश,राजस्थान,हरियाणा आदि राज्यों में बरसों से पारम्परिक तरीकों से मनाया जाता रहा है।आजकल गुजरात,महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी जोर शोर से मनाया जाने लगा है।

जिस तरह होली दीवाली पंडित जी द्वारा पतरा देखके,ईद-मोहर्रम इमाम साहेब द्वारा टेलीस्कोप से चांद देखकर,क्रिसमस जॉर्जियन कलेंडर देखकर,गुरु परब संडे देखकर मनाया जाता है,उसी तरह भारतबन्द का त्योहार नेतागणों द्वारा चुनाव आने का समय देखकर मनाया जाता है।यह लोकतंत्र का धार्मिक उत्सव है।

नेताओं के नवयुवा समर्पित चमचे लोग सुबह-सुबह डंडा लेकर सड़क पर निकलते हैं।सड़क पर टायर जलाकर खुशियां मनाते हैं।गाड़ियों और दुकानों का शीशा फोड़ना,स्कूटर, रिक्शा आदि के टायरों से हवा निकालना आदि भारत बन्द त्योहार के पारंपरिक रीति रिवाज हैं।गाली गलौज मारपीट इस महान पर्व की शोभा में चार चांद लगाते हैं।

भारत बन्द का त्योहार अभिव्यक्ति की आजादी के विजय का प्रतीक है।यह त्योहार इंसान के अंदर के जानवर को आदर के साथ बाहर लाता है। पशुता के प्रहसन के माध्यम से लोकशाही की श्रेष्ठता का जनजागरण होता है।उन्माद और विवाद की पराकाष्ठा पर पहुंचने में संवेग और उदवेग दोनों का सहारा लिया जाता है।

भारत बन्द में नेता लोग सड़कों पर अपनी पारम्परिक भेषभूषा जैसे पजामा कुर्ता और अपनी पार्टी का गमछा पहनकर निकलते हैं।आम चमचे लुंगी,बनियान और गमछी में झंडा-डंडा लेकर ही निकलते हैं।आजकल नवयुवक बरमुडा टी शर्ट में भी निकलने लगे है।हाथ में व्यक्ति से लगभग 6" लम्बा डंडा होना अत्यंत आवश्यक है।फाड़े में कट्टा हो तो सोने पर सुहागा।

चाय,पकोड़े,पेप्सी,कोला और शराब कबाब का इंतजाम सड़क पर ही होता है।पहले भारत बन्द मनाने वाले लोग स्वयं ही इन व्यंजनों का लुत्फ उठाते थे। जब से मीडिया भी इस त्योहार में कलम-कैमरे के साथ हिस्सा लेने लगी है और शक्ति प्रदर्शन की सेल्फी का डिमांड बढ़ा है,बन्द कराते लोग काफी सभ्य होने का प्रदर्शन करने लगे हैं।बंद पीड़ितों को भी चाय नाश्ता दवा-दारू दिया जाता है,एम्बुलेंसों को रास्ता देने का सद्कर्म भी किया जाने लगा है,जिसे पशुता पर मानवता की विजय कह कर छापा और दिखाया जाने लगा है।मानवीय गुणों का यह प्रदर्शन निश्चय ही सराहनीय है।

भारत-बन्द आलसी लोगों के लिए लोकतंत्र का अनमोल वरदान है।सोमवार से लेकर शुक्रवार तक किए जाने वाला बन्द श्रेष्ठतम लोकोपकार का है।स्कूलों कालेजों को बन्द कराने में बाल कल्याण की भावना छुपी है।सोमवार और शुक्रवार का भारतबन्द सबसे पावन बन्द है।मंगलवार से वृहस्पतिवार तक का बन्द मध्यम आनंददायी होता है।रविवार को या शनिवार को आहूत बन्द निकृष्ट कोटि के बन्द की श्रेणी में आता है।

इस भाग दौड़ की तनाव भरी जिंदगी में भारतबन्द का त्यौहार हमें परिवार के साथ वक्त बिताने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है।अब तो इंटरनेट के माध्यम से सामाजिक सरोकारों को बढ़ाने का मौका भी मिलता है।कभी-कभी बन्दकर्तागणों के अति उत्साह की वजह से इंटरनेट बन्द हो जाता है,जो निश्चय ही परिहार्य है।

आजकल हर पर्व त्योहार के विरोध का फैशन बन गया है।निश्चय ही कुछ लोग इस भारतबन्द पर्व पर भी ऊँगली उठाएंगे!लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है।बस इतना ध्यान रखें कि बन्द का विरोध शांतिपूर्ण तरीके से करें।उत्सव में रंग में भंग न डालें!भावनाओं को आहत न करें।पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है कि बन्द को शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जाने में सप्रेम अपना डंडा सहित योगदान दें।आंसू गैस के गोले से लोगों को भावुक होने में मदद करें!आंखों के रास्ते मन का मैल धुलबाने का आजमाया हुआ अंग्रेजी तरीका है।

भारत-बन्द के इस महान पर्व के शुभ अवसर पर हम बन्द के समर्थक और विपक्षी दोनों पक्षों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं समर्पित करते हैं।लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर ज्यादा प्रवाह आपके विसर्जन का हो!इसी मंगलकामना के साथ अपने निबंध को बन्ध देता हूँ।

कबीरा खड़ा बजार में, दियो टायर दहकाय।
नेता अपनी रोटियां,सेंक-सेंक कर ले जाय।।

©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
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न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...