Monday, May 11, 2020

पुराणों के अनुसार माता कामधेनु



*पुराणों के अनुसार माता कामधेनु 🐄 समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी। पुराणों मे कामधेनु के कई नामों का उल्लेख है - नंदिनी, सुनन्दा, सुरभि, सुशीला, सुमन इत्यादि। ऐसा माना जाता है कि मुनि कश्यप ने वरुण देव से कामधेनु मांगी था, लेकिन कार्य पुरा होने पर भी उन्होने कामधेनु को वरुण देव को वापस नहीं किया। 😳⛳इससे क्रोधित होकर वरुण देव ने कश्यप जी को श्राप दे दिया, 😳☝🏻और उनका जन्म, कृष्ण के काल में, ग्वाले के रूप में हुआ। कामधेनु माता की कथा, भगवान विष्णु के अवतार परशुराम से जुड़ी है।👉🏻⛳ जमदग्नि ऋषि, परशुराम के पिता, को भगवान इंद्र ने कुछ समय के लिये कामधेनु गाय दी थी। एक बार सहस्त्रबाहु अर्जुन नाम के राजा उनके आश्रम मे पहुँचे। महर्षि ने उनका यथोचित स्वागत किया। राजा के मन में यह बात आई कि महर्षि ने उनका इतनी अच्छी तरह स्वागत कैसे किया। तभी उस राजा ने महर्षि के गौशाला में कामधेनु गाय को देखा। राजा समझ गया कि यह सब उस कामधेनु गाय 🐄का प्रभाव है।*😳☝🏻
*👉🏻अत: राजा ने महर्षि से कामधेनु🐄 गाय माँगी। जब महर्षि ने कामधेनु देने में असमर्थता व्यक्त की बताया कि उन्हें कुछ समय तक कामधेनु की सेवा का अवसर मिला है। तब सहस्त्रार्जुन ने बल पूर्वक कामधेनु गाय को आश्रम से ले गया।😳☝🏻 इधर जब परशुराम जी आश्रम लौटे तब महर्षि ने उन्हें बताया कि सहस्त्रार्जुन कामधेनु को ले गया। परशुराम जी उसी क्षण सहस्त्रार्जुन के महल को गये और उसे कामधेनु लौटाने के लिये कहा। सहस्त्रार्जुन ने कहा –“मैं गाय वापस नहीं करूंगा और तुम कौन हो, वापस जाओ । मैं राजा हूँ, राजा का प्रजा के हर वस्तु पर अधिकार होता है। इसलिये वापस जाओ नहीं तो बंदी बनाकर कारागार में बंद कर दूंगा। ” उसने अपने सैनिकों को आदेश दे दिया, परशुराम जी को पकड़ने के लिये। परशुराम जी ने क्रोध में भरकर सभी सैनिकों को मार दिया। सहस्त्रार्जुन अपने सभी सैनिकों और पुत्रों सहित परशुराम जी से लड़ने लगा।*😳☝🏻
*👉🏻सहस्त्रार्जुन को दत्तात्रेय भगवान का आशीर्वाद प्राप्त था कि पृथ्वी पर उसे कोई क्षत्रिय राजा हरा नहीं सकता एवं युद्ध के समय उसके हजारों हाथ होंगे। अत: वह अपने हजारों बाहु के साथ लड़ने लगा। परशुराम ने सहस्त्रार्जुन और उसके अधिकांश सैनिकों व पुत्रों को मार डाला😳☝🏻। इसके बाद परशुराम जी कामधेनु 🐄को लेकर आश्रम लौट आये। महर्षि जमदग्नि ने कहा – “पुत्र तुमने एक राजा की हत्या करके ठीक नहीं किया। तुम्हें प्रायश्चित के लिये तीर्थ यात्रा पर जाना होगा।” तब परशुराम जी ने कहा- “वो मुझे बंदी बनाना चाहता था। तभी मैंने उससे युद्ध किया । उसने एक ब्राह्मण की गाय को जबरन छीना था। ऐसे भी वह अभिमानी, अहंकारी तथा अधर्मी हो चुका था।” इसके बाद परशुराम जी तीर्थ यात्रा पर चले गये।*✔️⛳
*😳👉🏻इधर जब सहस्त्रार्जुन के बचे हुए पुत्रों को जब पता चला कि परशुराम जी तीर्थ यात्रा पर गये हैं तो वे सब बदला लेने के लिये आश्रम पहुँचे। उस समय आश्रम में केवल माता रेणूका और महर्षि जमदग्नि थे। उन्होंने ध्यानमग्न महर्षि जमदग्नि का सिर काट दिया 😳और माता रेणुका को मारने लगे। माता रेणुका ने अपने पुत्र परशुराम को पुकारा ।उस वक्त परशुराम जी तीर्थ में तपस्या में लीन थे । लेकिन माता की आवाज सुनकर वे तुरंत ही अपने आश्रम को लौट आये। ⛳अपने पिता का शरीर भाईयों के पास छोड़कर, सहस्त्रार्जुन के महल मे गये। वहाँ. परशुराम ने सहस्त्रार्जुन के बचे हुये पुत्रों को मार डाला। ✔️☝🏻अपने आश्रम लौट कर वे पिता के शरीर को लेकर कुरुक्षेत्र गये। वहाँ पर मंत्र की सहायता से अपने पिता के सिर को जोड़ दिया तथा उन्हें जीवित किया। अपने पिता को जीवित कर, सप्तऋषि मंडल में सातवें ऋषि के रूप में स्थापित कर दिया ।*😊⛳✔️

*जो गौमाता 🐄 को पशु समझता है वह स्वयं पशु है।।*


                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

Sunday, May 10, 2020

हमसे जो रूठे तो टूट जाएंगे हम!


हमसे  जो  रूठे  तो टूट  जाएंगे हम!
कसम  से  आह  में घुट  जाएंगे हम।

जिंदगी के पल का यहां भरोसा नहीं!
थामले आ हाथों को छूट जाएंगे हम।

सफर में  हमें  जो  दूर  भुलाके चले!
तन्हा  तो  राहों  में  लूट  जाएंगे हम।

धड़कनों   की  सदा  कहे  प्यार  कर!
मिट्टी  का  घड़ा  हूं  फुट  जायेंगे हम।

आइये तो पास भी  खास होकर मेरे!
इश्क़  में  वफ़ा  से  जुट  जाएंगे हम।

हमसे  जो  रूठे  तो टूट  जाएंगे हम!
कसम  से  आह  में घुट  जाएंगे हम।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

Saturday, May 9, 2020

मातृदिवस पर

माँ की ममता का नहीं, लग सकता है मोल! 
जिसने भी समझा इसे, वह मानव अनमोल!! 

स्वर्ग है जिसके चरण में, माँ है उसका नाम! 
उन  चरणों को पूजकर, मिलते  चारों  धाम!! 

माता से मिलती हमें, जीवन  की  सौगात! 
उनसे बढ़कर कौन है, इस दुनिया में नात!! 

सबकी सारी गलतियां, जाती पल में  भूल! 
नित्य लगाओ माथ पर, माँ चरणों की धूल!! 

माँ का त्याग, बलिदान, बनाए हमें  महान! 
फिर भी हम भूलें उसे, करें न उसका मान!! 

न चुकाने से चुक सके, माँ का वो उपकार! 
जीवन उसने कर दिया, सबका ही साकार!! 

माता माता रट रहे, माँ की न रखी लाज !
माँ बिचारी तङप रही, कोई न पूछे आज!! 

हर  दम  ही  करती  सदा, वह  सब  पर उपकार! 
फिर भी मिलता न उसको, सबके  मन का प्यार!! 

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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चछतण

छतण

मृत्यु टाले नहीं टलती चाहे कितनी भी चतुराई की जाए


*मृत्यु टाले नहीं टलती चाहे कितनी भी चतुराई की जाए*. :-.. 

एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर गए। द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर श्री हरि खुद शिव से मिलने अंदर चले गए। तब कैलाश की प्राकृतिक शोभा को देख कर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे कि तभी उनकी नजर एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी। चिड़िया कुछ इतनी सुंदर थी कि गरुड़ के सारे विचार उसकी तरफ आकर्षित होने लगे।
उसी समय कैलाश पर यम देव पधारे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की दृष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से निकलते ही उसे अपने साथ यमलोक ले जाएँगे।
गरूड़ को दया आ गई। इतनी छोटी और सुंदर चिड़िया को मरता हुआ नहीं देख सकते थे। उसे अपने पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोश दूर एक जंगल में एक चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद वापिस कैलाश पर आ गया। आखिर जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ ही लिया कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी नजर से क्यों देखा था।
यम देव बोले "गरुड़ जब मैंने उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो चिड़िया कुछ ही पल बाद यहाँ से हजारों कोस दूर एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं सोच रहा था कि वो इतनी जल्दी इतनी दूर कैसे जाएगी, पर अब जब वो यहाँ नहीं है तो निश्चित ही वो मर चुकी होगी।"
गरुड़ समझ गये *मृत्यु टाले नहीं टलती चाहे कितनी भी चतुराई की जाए*।"
इस लिए श्री कृष्ण कहते है- *करता तू वह है, जो तू चाहता है*
*परन्तु होता वह है, जो में चाहता हूँ*
*कर तू वह, जो में चाहता हूँ*
*फिर होगा वो, जो तू चाहेगा* ।

सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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Friday, May 8, 2020

जब याद वो पगली आती है

जब याद वो पगली आती है
दिल   में    तूफान उठाती है 

आँखें भी बरसने  लगती  हैं
रग  रग में  उदासी  छाती है

उसके पागलपनकी ये अदा
मेरे   दिल  को भरमाती   है 

उसकी भोली सूरत दिल पर
बिजली सी रोज़  गिराती  है 

मुद्दत  से   मिलते  आये   हैं
लेकिन अब तक शरमाती है

वो  भी  करती है  याद  मुझे 
मेरी   हिचकी   बतलाती  है 

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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Thursday, May 7, 2020

चाँद जैसा सँवर गया कोई


चाँद    जैसा    सँवर   गया   कोई
बन  के  खुशबू  बिखर  गया कोई

उसको  देखा तो यह लगा मुझको
जैसे  दिल  में   उतर   गया  कोई

तेरी  तारीफ़   करता  निकला   है
 शख़्स जो  तेरे    घर  गया  कोई

तेरे   पहलू   मे   यूँ  लगा  हमदम
बिजलियां  तन में भर  गया कोई

रुख़सती  पर   लगा  तुम्हारी  यह
जान   ले  के   मुकर   गया  कोई 

जान  मुड़ कर  के  देख तो  लेती
तुझपे  मर कर  के मर  गया कोई

क्रिश खोली हैं उसने जुल्फें  क्या 
जैसे   तूफां   गुज़र    गया  कोई

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...