Sunday, July 26, 2020
सावन विशेष श्री रामकथा अमृत सुधा 22
Saturday, July 25, 2020
सावन विशेष श्री रामकथा अमृत सुधा 21
Friday, July 24, 2020
सावन विशेष श्री रामकथा अमृत सुधा 20
नागपंचमी (श्रावण पंचमी) २५ जुलाई २०२० पर विशेष
Thursday, July 23, 2020
सावन विशेष श्री रामकथा अमृत सुधा 19
Wednesday, July 22, 2020
सावन विशेष श्री रामकथा अमृत सुधा 18
Tuesday, July 21, 2020
सावन विशेष श्री रामकथा अमृत सुधा भाग 17
🔅🔅🔅🔅ঔ *श्रीराम* ঔ🔅🔅🔅🔅
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ஜ۩۞۩ஜ *श्रीरामकथा अमृत सुधा* ஜ۩۞۩ஜ
*सावन विशेष- भाग-17*
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🕉️📕 *शिव प्रसङ्ग --०३*📖🕉️
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✍🏻
आदरणीय चिन्तनशील बन्धु जन,
༂ *जय जय सियाराम* ༂
*बालकांड में शिव चरित श्रवण के पश्चात् भरद्वाजजी की अपार श्रद्धा देखकर याज्ञवल्क्यजी कहते हैं –*
अहो धन्य तव जन्म मुनीसा।
तुम्हहि प्रान सम प्रिय गौरीसा।।
सिव पद कमल जिन्हहि रति नाहीं।
रामहि ते सपनेहुँ न सोहाहीं।।
बिनु छल बिस्वनाथ पद नेहू।
राम भगत कर लच्छन एहू।।
*यहाँ “गौरीसा”शब्द भावगर्भित सहेतुक है ।अब शिव गौरीशा हैं यानी गौरी के स्वामी हैं ।गौरी अर्थात् भवानी अर्थात् श्रद्धा ।श्रद्धा हिमाचल पुत्री हैं ।यानी पर्वत की पुत्री हैं अतः पार्वती । श्रद्धा पर्वत की तरह अचल होनी चाहिए तभी श्रद्धा । तपस्या में भी एकदम अचल रहीं।सप्तर्षि की भी बात नहीं मानी।*
🗣
*ध्यान दीजिए श्रद्धा का यही स्वरूप भगवत्प्राप्ति में सहायक होता है ।*
संत और शास्त्र का मत है –
*जीवन में श्रद्धा दृढ़ हो तो संदेह,संशय,भ्रम और भ्रान्ति का भय नहीं रहता ।*
संदेह सदा मन में, संशय सदा बुद्धि में और भ्रम सदा चित्त में होता है और भ्रांति सदा अहंकार के कारण होती है ।
*चारों का विनाश श्रद्धा के उत्पन्न होने से ही होता है ।*
यहाँ श्रद्धा और विश्वास के चरित श्रवण से भरद्वाज जी को परम सुख मिला- *भरद्वाज मुनि अति सुख पावा।।*
यही शिव-शिवा चरित का महत्त्व है।
*भारतीय सनातन परंपरा में शिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य यही है ।गौरीशा की कृपा प्राप्ति का यह पावन व्रत है ।यह व्रत जीवन के तमस को समूलतः विनष्ट कर देता है।*
संतो की दृष्टि में *जीव या जीवन की रात्रि के लिए भी जो प्रकाशस्वरूप परम कल्याणकारी हैं -वही शिव हैं और यह जन्म-जन्मांतर की रात्रि को मिटाने वाला व्रत है, अतः शिवरात्रि है ।*
दुर्गा सप्तशती में माँ दुर्गा की स्तुति करते हुए कहा गया है-
*कालरात्रिर्महारात्रिर्मोहरात्रिश्च दारुणा।*
हे देवि!भयंकर कालरात्रि, महारात्रि और मोहरात्रि भी तुम्हीं हो।
*जीव इन्हीं तीन रात्रियों में भ्रमण करता है। विद्वान् मानते हैं कि कालरात्रि से अभिप्रेत है -होली(हुताशनी),महारात्रि-शिवरात्रि तथा मोहरात्रि-दीपावली अथवा शरत्पूर्णिमा।कुछ विद्वान् दीपावली को कालरात्रि मानते हैं । मताभिन्नता के कारण यह अंतर मिलता है ।*
लेकिन दुर्गा सप्तशती में जिस दारुण रात्रि का वर्णन है, उसका आध्यात्मिक रहस्य कुछ और है।यह अधोलिखित है जो ज्यादा शास्त्रीय और आध्यात्मिक है:-
1- *कालरात्रि-जीव जब एक योनि से दूसरी योनि(मृत्यु और गर्भ में आने के पूर्व) में जाता है तो बीच में जो गहन अंधकार से गुजरना पड़ता है वह रात्रि कालरात्रि है ।*
2- *महारात्रि-जीव जब गर्भ में आता है तो वहाँ योनि अनुसार जितना समय व्यतीत करता है, 9 महीना आदि आदि,वह महारात्रि का तमस है ।अर्थात् वह महारात्रि है ।*
3- *मोहरात्रि-प्राणि जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत जिस अज्ञान रात्रि में सोया रहता है -वह मोहरात्रि है ।*
गोस्वामी जी मानस में कहते हैं –
*मोह निसाँ सबु सोवनिहारा।देखिअ सपन अनेक प्रकारा।।*
यहाँ ज्ञान रूप सूर्य के अभाव में मोहरात्रि होती है ।इस मोहरात्रि में सोया हुआ जीव अनेक प्रकार का स्वप्न देख रहा है ।
इन रात्रियों(विशेषतः मोह रात्रि) के मूल में जीव का अज्ञान है ।मत्स्य पुराण के अनुसार *मनुष्य को सूर्य से स्वास्थ्य,अग्नि से धन, भगवान् शिव से ज्ञान और जनार्दन से मोक्ष की कामना करनी चाहिए –*
आरोग्यं भास्करदिच्छेद् धनमिच्छेद्धुताशनात् ईश्वरा ज्ज्ञानमिच्छेच्च मोक्षमिच्छे ज्जनार्दनात्।
*इस प्रकार भगवान् शिव की उपासना से ही परम ज्ञान की प्राप्ति कर जीव इस भयंकर त्रिरात्रि से मुक्त हो सकता है । और यह रात्रि पार्वती रूपा दुर्गा का ही स्वरूप है और शिवरात्रि व्रत का संक्षेप में यही आध्यात्मिक रहस्य है ।*
स्वामी राम भद्राचार्य जी कहते हैं कि *अयोध्या कांड के मंगलाचरण के प्रथम श्लोक में गोस्वामी जी ने भगवान् शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंग की वंदना की है-*
1-
*वामांके च विभाति भूधरसुता* -सोमनाथ
2-
*देवापगा मस्तके*-विश्वनाथ
3-
*भालेबालविधुः*-मल्लिकार्जुन
4-
*गले च गरलं*-ओंकारेश्वर
5-
*यस्योरसि व्यालराट्-* महाकाल
6-
*भूतिविभूषणः*-वैद्यनाथ
7-
*सुरवरः-* भीमशंकर
8-
*सर्वाधिपः सर्वदा*-केदारनाथ
9-
*शर्वः-* त्र्यम्बकेश्वर
10-
*सर्वगतः-* दारुकवने नागेश्वर
11-
*शिवः-* घुष्मेश्वर
12-
*शशिनिभः शंकर*-रामेश्वर
यह मानस के माध्यम से द्वादश ज्योतिर्लिंग का अभिषेक है । *इसी से जीव का सर्वविध कल्याण संभव है ।*
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*सियावर श्रीरामचन्द्र जी की जय*
℘ *जारी ⏭️* ɮ
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*_हे एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकं।_*
*_बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।_*
*लम्बोदर महाराज प्रभु श्री गणपति भगवान की जय⛳*
आपका अपना
"पं.खेमेश्वरपुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज-व्यंग्य कवि
राष्ट्रीय प्रवक्ता
राष्ट्र भाषा प्रचार मंच-भारत
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
Monday, July 20, 2020
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