Saturday, September 5, 2020

शिक्षक दिवस पर विशेष

*आज का  संदेश*
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👳‍♂️ *"शिक्षक दिवस" पर विशेष* 👳‍♂️====================
हमारा देश भारत विविधताओं का देश रहा है यहाँ समय समय पर समाज के सम्मानित पदों पर पदासीन महान आत्माओं को सम्मान देने के निमित्त एक विशेष दिवस मनाने की परम्परा रही है। इसी क्रम में आज अर्थात ५ सितम्बर को पूर्व राष्ट्रपति डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती "शिक्षक दिवस" के रूप में सम्पूर्ण भारत वर्ष में मनायी जा रही है। मानव जीवन में शिक्षक, गुरु एवं आचार्य का बहुत बड़ा महत्व है। माता-पिता से जन्म लेने के बाद मनुष्य संसार के विषय में जानने का प्रयास करना प्रारंभ कर देता है जिसमें उसकी सहायता सर्वप्रथम माता ही करती है। इसीलिए माता को इस संसार का प्रथम शिक्षक कहा गया है। माता की शिक्षा प्राप्त करके बालक विद्यालय में जाता है जहां उसे शिक्षक इतिहास, भूगोल एवं अन्य संस्कारों का ज्ञान कराते हैं। मार्गदर्शक एवं शिक्षक का जीवन में पदार्पण न हुआ होता तो शायद मनुष्य इतना विकास कभी न कर पाता क्योंकि शिक्षक एवं गुरु को कुम्हार की संज्ञा दी गई और विद्यार्थी को मिट्टी की। जिस प्रकार एक कुम्हार मिट्टी से मनचाहे बर्तन तैयार कर देता है उसी प्रकार शिक्षक भी विद्यार्थी को तैयार करता है इसलिए जीवन में मार्गदर्शक का जो महत्व है उसे नकारा नहीं जा सकता। वैसे तो शिक्षक का अर्थ होता है शिक्षा देने वाला परन्तु यह केवल शाब्दिक अर्थ है, क्योंकि केवल शिक्षा देकर ही शिक्षक का कर्तव्य नहीं खत्म होता है। एक शिक्षक आपमें वो सब क्षमताएं पैदा करता है, जिससे आप अपने जीवन में निरंतर प्रगति करते रहें और देश व संसार को गौरवान्वित करें। शिक्षक का हमारे जीवन मे महत्व उतना ही है जितना हमारे जीवन मे सत्य का महत्व है। शिक्षक हमे ज्ञान देता है और उस ज्ञान के प्रयोग से हम सही और गलत के बीच अंतर कर पाते हैं।  उसी  ज्ञान के बल पर ही से हम दुनिया मे अपने क्रियाकलाप कर पाते हैं। पूर्वकाल में शिक्षक या अध्यापक का इतना सम्मान होता था कि अपने अभिभावकों से अधिक छात्र अपने शिक्षक से भय खाता था और उनके आगमन से ही उसके सारे अनर्गल क्रियाकलाप स्वत: बन्द हो जाया करते थे। परंतु आज देश - परिवेश एवं संस्कारों में परिवर्तन स्पष्ट देखा जा रहा है आज न तो विद्यार्थी शिक्षक का सम्मान कर पा रहे हैं और न ही शिक्षक अपना सम्मान करा ही पा रहे हैं। कहीं न कहीं से शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों की मानसिकता आज परिवर्तित दिखाई पड़ रही है। 

आज की शिक्षा, शिक्षा पद्धति एवं शिक्षक आदि आधुनिकता के रंग में रंगे दिख रहे हैं। जहाँ पूर्वकाल में विद्यार्थी आश्रम में जाकर अपने शिक्षक से शिक्षा ग्रहण करते थे और, वहाँ उनमें संस्कारों का आरोपण होता था वहीं आज की शिक्षा पद्धति के विषय में कुछ भी बताने की आवश्यकता नहीं है। पूर्वकाल में पाठशाला में पढानेवाले शिक्षक के सादे रहन सहन तथा विचारों के आदर्श विद्यार्थियों के सामने होते थे, उनके सात्विक आचार विचार विद्यार्थियों द्वारा अनुकरण करने योग्य होते थे। इसी कारण पाठशाला जाने पर अपने बच्चों पर अच्छे संस्कार होंगे, इसकी निश्चिति अभिभावकों को थी। परंतु आज ‘संस्कार, धर्माचरण’ ये शब्द ही समाज से लुप्त होते जा रहे हैं। जैसे-जैसे शिक्षा पद्धति पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव पडता गया, वैसे-वैसे पाठशाला के शिक्षकों में भी परिवर्तन होता गया। जब अंग्रेजी माध्यम की पाठशालाएं आर्इं तो इस शिक्षक भी ‘सर/मैडम’ कहलवाकर ही स्वयं को गौरवान्वित समझने लगे। उसी प्रकार विद्यार्थियों में भी इसी प्रकार के संस्कार होते हुए दिखाई दे रहे हैं। ‘संस्कार, धर्माचरण’ ये शब्द ही समाज से लुप्त होते जा रहे हैं, जिससे बडी मात्रा में समाज का अध:पतन होते हुए दिखाई देता है। आज "शिक्षक दिवस" पूरे देश में मनाया जा रहा है। शिक्षक समाज निर्माण का मुख्य स्तम्भ है इनका सम्मान बनाये रखने में ही समाज का भला है। परंतु समाज में जो सम्मान एक शिक्षक को प्राप्त होता रहा है वह आज समाप्त होता दिख रहा है तो कारण कहीं न कहीं से कुछ शिक्षक गण भी हैं। विद्यार्थी संयमित तभी रह सकता है जब उसका मार्ग दर्शक स्वयं संयमित हो क्योंकि बालक पढ़ने से अधिक देखकर सीखता है  और आज संयम रखना दिवास्वप्न बनता जा रहा है। जिस शिक्षक का सम्मान जीवन भर करते हुए गुरुऋण से उऋण होने की व्यवस्था सोंची जाती थी आज उसी शिक्षक का सम्मान एक विशेष दिवस में सिमटकर रह गया है। विचार कीजिए कि हम कहाँ थे और कहाँ पहुँच गये। 

आज पूर्व राष्ट्रपति डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस पर "शिक्षक दिवस मनाकर शिक्षकों के प्रति पूरा देश सम्मान एवं श्रद्धा अर्पित कर रहा है। हमारी ओर से भी सभी मार्गदर्शको को कोटिश: नमन एवं सम्पूर्ण देश को "शिक्षक दिवस" की बधाईयाँ। 

                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वरपुरी गोस्वामी"
        धार्मिक प्रवक्ता-ओज-व्यंग्य कवि
                    राष्ट्रीय प्रवक्ता
           राष्ट्र भाषा प्रचार मंच-भारत 
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

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