Thursday, September 20, 2018
मेरा ए संदेश पहुंचा देना
आतंक के जनकों को मेरा ए संदेश पहुंचा देना
बात समझ न आए तो तीरछी बात समझा देना।
भेद नहीं है सीमा में, हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई मे
यहां मोहब्बत हर कोने में, मिले हैं भाई भाई में।
वामपंथी दक्षिण पंथी, पंडित चाहते हैं भोग जहां
राजनीति होती धर्म की,वोट बैंक का है रोग यहां।
इनको तो हम बदल ही लेंगे तुम अपना विचार करो
तुम्हारे नापाक इरादों को, बदल के हमसे प्यार करो।
बाप को बेटा,बहन मां को भी, तुमने अपने ही मारे हैं
बेमतलब रक्त नदी बहाते ,ऐसे तो इतिहास तुम्हारे हैं।
छोटी सोंच बड़ी साज़िश,कर तंग करे हो कश्मीर
तत्काल पहुंचाएंगे जन्नत, बदल रख देंगे तकदीर।
आजादी से लेकर,धुर्तो , अनगिनत बार हो मिट चुके
जब जब आंख दिखाई हे, बारंबार हो तुम पिट चुके।
हमारी मोहब्बत मजहब के बीच,कभी तोड़ न पाओगे
सिंधु सतलज ब्रह्मपुत्र की,की धारा को मोड़ न पाओगे।
इतिहास अपना अब भुल ,आओ हम से प्यार करो
आतंक छोड़ नये मोहब्बत, रिश्ते का इजहार करो।
मानलो तुम बात हमारी, समय तुम्हें देते हैं अब भी
पाक कोई था कहेंगे वर्ना, इतिहास पढ़ेंगे जब भी।
ऐसे अस्त्र चला देंगे कि,दुनिया से नामों निशान मिटा देंगे
अबकी कश्मीर पे दिखा कोई, पुरा पाकिस्तान मिटा देंगे।
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
ओज-व्यंग्य/गीतकार
मुंगेली - छत्तीसगढ़
७८२८६५७०५७
८१२००३२८३४
Wednesday, September 19, 2018
कुर्सी के खातिर
बेच के रख दे हे भगवान,ए ईमान कुर्सी के खातिर
आदमी तो हो गिस अब, बेईमान कुर्सी के खातिर!
दोस्ती अऊ गांव के रिश्ता भुला के तो ओ चल दिस
रजधानी चल दिस अब ओ अंजान,कुर्सी के खातिर!
मनखे हर-मनख रहितिस,तभो काफी रहिसे मनखे
मनखे ले अब इन होवथे तो, हैवान कुर्सी के खातिर!
सहजन के भरोसा तोड़े, अपन मन के करे बदनाम
जाके शहर में भूला गिस,हे इन्शान कुर्सी के खातिर !
गंवा डरे जज्बात जम्माे अऊ शपथ घलो स्वाहा होगे
पहिन के टोपी वो होगिस, दलवान कुर्सी के खातिर!
बन के नेता चढ़ के कुर्सी, जनहित करे तैं सत्यानाश
बीजा-चारा-खातू-खेत,अऊ खदान कुर्सी के खातिर!
बेटी लूटथे अंधियारी मा,चाहे बाढ़ में बह जाए दुवार
खोजत रहिथे बेशर्मी उँहो, मतदान कुर्सी के खातिर!
कोनो धरे हे तीन रंग,कोनो दू रंग ले बन बईठे सियार
अब मनखेच् खाथे मनखे के, जान कुर्सी के खातिर!
ऐश तो करथे इन मन देश में,पीढ़ी बसथे विदेश जाए
सैनिक,नारी, नि छोड़य तो, किसान कुर्सी के खातिर!
रेडियो, टीवी अऊ अखबार,भष्ट्राचार बर बोलत रहिन
बन्द कर दीन अब ऊँखरो,इन जुबान कुर्सी के खातिर!
नेता मन हर बांटथे भईया,हरा आऊ हावे केसरिया रंग
आदि-हरि-पिछड़ा-सवर्ण, मुसलमान कुर्सी के खातिर!
जनता जाए भाड़ मा संगी मजा उड़ाए के एही हे बेरा
अमृत खुद बर जनता कराए,विषपान कुर्सी के खातिर!
का जरूरत विदेश घूमेके, सारी तीरथ देश में हे भईया
इन फूंकत हें रोटी-कपड़ा अऊ मकान कुर्सी के खातिर!
आगि लागथे मोर दिल ,जहन में आंधी दौड़े हे रात-दिन
अब तो उठ जा ललकार, हिंदुस्तान ....कुर्सी के खातिर!
रोज घररख्खा रंग बदलथे, सांप सही ऐखर जी फुंकार
ड्सथें इन त रोज जनता के अरमान,कुर्सी के खातिर..!
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
मुंगेली - छत्तीसगढ़
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गांव के गुन ला गाबोन
गांव के माटी के रद्दा,बईला गाड़ी मा जाबोन,
बीच में आगर नदिया हे,डोंगहार ला बलाबोन।
छुट्टी पांच दिन के मिलिस, मन उमंग ले भरे,
दशहरा के बाद ही अब हमन स्कूल जाबोन।
खेत अऊ ब्यारा घलो,हुड़दंग हम मचाबोन,
लईकुसहा दिन सुघर, कभू भूल नहीं पाबोन।
बड़ मजा आथे अभो, बचपन ला याद करके,
रोथंव चलो फेर,आंसू कहे आंखी नहीं आबोन।
नदी तिर बसे डिंडोरी ,नाव के सुघर मोर गांव,
कल-कल बोहात नदी मा, खूब हम नहाबोन।
गांव के बगीचा में , छीता-बीही के पेड़ सजोर
ऐसो की छुट्टी मा गुरतुर, मीठा फर तो खाबोन।
रेहचुल मा झूलबो, खेलबो गिल्ली-डंडा, भंवरा,
छू-छूवऊल,सगली भतली,ठट्ठा बिहाव रचाबोन।
पिट्ठूल ,अऊ मार पूक, ओ पार वाले संग खेल,
पंचवा अऊ,बांटी-बदा बना रेंधी घलो मताबोन।
शहर के माहोल कभू रास नहीं आईस "खेमेश्वर"
हम सदा तो अपन सुघ्घर गांव के गुन ला गाबोन।
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
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Monday, September 17, 2018
दसनाम क्या है ?
दसनाम नायक, दसनाम ज्ञानी
दसनाम दाता, दसनाम दानी!
दसनाम है एक अमिट कहानी
दसनाम है सत्यता की वानी!
सकल सृष्टि दसनाम बोले
मेरी दृष्टि दसनाम बोले!
दसनाम राजा सभी हैं भिच्छुक
है सबका हृदय इसी का इच्छुक!
दसनाम पापों को नष्ट कर दे
दसनाम अहं को भ्रष्ट कर दे!
दसनाम प्रतीक एकता का
दसनाम आनन्द आत्मा का!
दसनाम पूजा की आत्मा है
दसनाम मानव की आस्था है!
न पूछ मुझसे दसनाम क्या है?
दसनाम ही दूत है शान्ति का
जनक यही तो है क्रान्ति का!
दसनाम दाता सहिष्णुता का
दसनाम प्रकाश एकता का!
दसनाम त्रिलोक का है ज्ञाता
दसनाम सागर विनम्रता का!
दसनाम सावन, दसनाम जीवन
दसनाम जल है, दसनाम ही मन!
दसनाम दर्पन, दसनाम उपवन
दसनाम पर है ये प्राण अर्पन!
दसनाम मन्दिर, दसनाम पूजा
दसनाम जैसा कोई न दूजा!
दसनाम जल सा है प्राणदानी
दसनाम नैनों से बहता पानी!
दसनाम जीवित, अजर, अमर है
दसनाम सिंह है, दसनाम नर है!
दसनाम है एक असीम शक्ति
दसनाम है एक अटूट भक्ति!
दसनाम शालीनता का अम्बर
दसनाम सुन्दर, शलभ, मनोहर!
दसनाम मानवता का है योद्धा
अहिंसा की है दसनाम श्रद्धा!
दसनाम हृदय पवित्र कर दे
दसनाम ऊँचा चरित्र कर दे!
दसनाम पर है ये प्राण अर्पित
दसनाम पर आन मान अर्पित!
दसनाम अदभुत्, अमित, उजागर
दसनाम ही है दया का सागर!
दसनाम सुख को अनन्त कर दे
दसनाम दुख का भी अन्त कर दे!
दसनाम दुख का करे निवारण
दसनाम विजयी भवो का कारण!
दसनाम गौरव है भूधरा का
यही विजेता है करबला का!
दसनाम भीतर, दसनाम बाहर
दसनाम पावन, मधुर सरोवर!
दसनाम करूणामयी कथा है
न पूछ मुझसे दसनाम क्या है?
धरम है नौका, दसनाम वाहक
दसनाम ईश्वर का है सहायक!
सुमन सुमन भी दसनाम बोले
गगन गगन भी दसनाम बोले!
दसनाम बुद्धि, दसनाम वृद्धि
दसनाम ही दे रिद्धि सिद्धि!
दसनाम दुर्लभ, सुलभ, सलोना
दसनाम हीरा दसनाम सोना!
दसनाम *"खेमेश्वर"* की ऊर्जा है
न पूछ मुझसे दसनाम क्या है
रचना -दसनाम पुष्पांजलि
©✍पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✍®
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Sunday, September 16, 2018
विश्वकर्मा जन्मोत्सव पर
देव विश्वकर्मा पांव लागी तोर, दुनिया के बनईया हरस।
जम्मो झन पर दया तोर,तिहिं तो जग के आधार हरस।।
जाये बनाए बर,चाहे,सजाए बर,सबो तोर ले ही मिलथे।
तोर दया ले जम्मो पनपथे,,फूल कस दिल में तो खिलथे।।
तैं तो सनातन के देवता,तिथि छोड़,तारिख म तैं हर आथस।
जम्मों के मन मा तोर भक्ति,हर दिन ला तो बड़ महकाथस।।
गणाधिपति लम्बोदर के, संग में तो तैं हर विराजे।
माथ मा चन्दन हाथ हथौड़ा छिनी हां तोला साजे।।
तोरेच आरती गाथें बबा, दुनिया के जम्मो नर नारी।
हरदम बने रथे सुघर अब , बबा नित कृपा तिहारी।।
पूजा के संग करव विनय,नि खण्डित हो कोई काम।
एही बेरा ले जय जोहार हे,बिहना ले सबला प्रणाम।।
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
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Saturday, September 15, 2018
सांबा के जांबाज शेरों को समर्पित
दिन तीन में तेरह आतंकी,हिन्द वीरों ने मार गिराए हैं।
जहां छायी हुई रहती थी,वो आतंक की रात मिटाए हैं।।
आज फिर से उबाल रक्त में,आकर सिंहों ने गुर्राया है।
मां भारती के लिए शपथ फिर,ऐ वादों को निभाया है।।
ना हुआ कोई,न होने वाला,भारत को जो ललकार सके।
होगी हरदम आतंक की कीमत, जैसे भाव भाजी के टके।।
सदा डटे थे डटे रहेंगे,क्षमता न किसी में जो ये बंध रूकें।
सीना चीर के रख देंगे सदा, लाज बस कि तिरंगा न झूंके।।
शांत है,तो सोया न समझो, कर शिकार रक्त भी चख लेंगे।
गर नजर गलत वतन पे मेरी,आंखे नोच मिटा के रख देंगे।।
अभी समय जाओ सुधर,नही शिशुपाल से अलग धड़ कर देंगे।
गर अब भी बाज न आओगे, हम कराची भी छीन के रख लेंगे।।
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
ओज-व्यंग्य
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न्यू २
प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय, ...
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गोस्वामी की शव की संस्कार पुत्र या शिष्य,कुल रीति से संस्कार करें। शुद्ध जल से स्नान,भभुति, पुष्प आदि से पुजा करें! चमकाध्याय व नमकाध्याय ...
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