Tuesday, January 22, 2019

कुछ तुच्छ मुक्तक

तय करना था एक लंबा सफर पर कोई हमसफ़र नहीं था…
मुजपे आते जाते मौसमों का कोई असर नहीं था…
क्या खूब मिलिथी उनसे मेरी नज़र किसी रोज,
अब न मिले वो एक पल भी, तो हमको सबर नहीं था…

क्यों हम किसी के खयालो में खो जाते है,
एक पल की दुरी में रो जाते है,
कोई हमें इतना बता दे की, है ही ऐसे है,
या प्यार करने के बाद सब ऐसे हो जाते है…

सुर्ख गुलाब सी तुम हो, 
जिन्दगी के बहाव सी तुम हो, 
हर कोई पढ़ने को बेकरार, 
पढ़ने वाली किताब सी तुम हो।

अपनी तो ज़िन्दगी ही अजीब कहानी है,
जिस चीज़ की चाह है वो ही बेगानी है,
हँसते भी हैं तो दुनिया को हँसाने के लिए,
वरना दुनिया डूब जाये इन आंखों में इतना पानी है..

पावन प्रेम अगर महकेगा,
               तो मन चंदन हो जाएगा !
नारी "राधा " हो जाएगी
            नर "मनमोहन" हो जाएगा !     
"तन " को चाहे जितना रंग लो
                 कोई फर्क नही होगा....
"मन " को जिस दिन रंग लोगे
                मन वृंदावन हो जाएगा !!

Tuesday, January 15, 2019

क्या क्या देखूं

भूल कर तुझ को भरा शहर भी तन्हा देखूँ...
याद आ जाए तो ख़ुद अपना तमाशा देखूँ...

मुस्कुराती हुई इन आँखों की शादाबी में...
मैं तेरी रूह का तपता  हुआ सहरा  देखूँ...

इतनी यादें हैं कि जमने नहीं पाती है नज़र...
बंद आँखों के दरीचों से मैं क्या क्या देखूँ...                                       

Sunday, January 13, 2019

वो लम्हे

मेरे-पास-तू-अपना
          थोडा-अहसास-रहने-दे...

इक-बूंद-समझके-मुझको
          थोडी-सी-प्यास-रहने-दे...

गुजरे-लम्हों-से-चुराई-है
         मैने-इक-इक-तस्वीर-यादो-की....

सिमटी-हुई-इन-यादो-को-तो
                तू-मेरे-पास-रहने-दे.....!!!!!

Saturday, January 12, 2019

एक कलम श्याम जी को समर्पित

हम भी तेरी मोहनी मूरत दिल में छिपाये बैठे है,

तेरी सुन्दर सी छवि आँखों में बसाये बैठे है ।।

इक बार बांसुरी की मधुर तान सुनादे कान्हा,

हम भी एक छोटी सी आस जगाये बैठे है ।।

 तेरी सलोनी सूरत से मैं प्यार करती हूँ..

 हद से ज्यादा आप पे ऐतबार करती हूँ..

 बुलाना है आपको एक ना एक दिन अपने पास..

 उस पल का मैं बेसब्री से इंतज़ार करती हूँ..

         ।।। राधे राधे जय श्री राधे।।।

एक कलम जन्म तिथि पर

खुली जो आँख तो न वो था न वो ज़माना था,

बस दहकती आग थी तन्हाई थी फ़साना था,

क्या हुआ जो चंद ही क़दमों पे थक के बैठ गए,

तुम्हें तो साथ मेरा अभी दूर तक निभाना था...!!

Tuesday, December 25, 2018

अंबर में लहराया भगवा हमारा

*अंबर में लहराया भगवा हमारा*


घिरे शत्रुओं से चौतरफा निरंतर

खोता ए वर्चस्व आपस में लड़कर

दीप जो मुझे घर करना आडंबर

लगता अंधेरा ना होगा उजाला

छा रहा चारों ओर साया जो काला

सूरज से रोशनी अब जो आएगी

जब तम ए पराजय की जाएगी

भय दुश्मनों की नजर में आएगी

अंबर में लहराया पूज्य भगवा हमारा!!१!!


पन्ना पद्मिनी लक्ष्मी दुर्गा की परछाई

राणा महाराणा शिवाजी की लड़ाई

इतिहास घड़ी कथा अमर बनाई

हजारों थे सैनिक चीता में खड़े जो

नारियां भी थी जौहर बनने अड़े जो

मध्य अंधेरी करे सूरज सी ज्वाला

अंबर में लहराया भगवा हमारा।।२!!


लुटे सोने चिड़िया लुटे मंदिर अब

मीठे महल सारे जो टुटे मंदिर सब

लूटी आबरू लूट गए हैं परिवार

सत्ता के आगे हो गए जो लाचार

जयचंदों की माता खड़ी आज है

आंखों में भरकर  आंसु साज है

पर फिर भी इस भरी भीड़ में भी, ढाढस बंधाता

मन के दर्द को छिपाकर हंसी है दिखाता

वर्तमान भूलकर इतिहास गाने

अंबर में लहराया भगवा हमारा।।३!!


जो कल थे डराते, घबराने लगे हैं

हमसे अब लड़ने,कतराने लगे हैं

जो लगे टकराने,जान से जाएंगे

गाथा पुरानी,मुंह की ही खाएंगे

उठा ध्वज, हम आगे बढ़ने लगे हैं

विश्व सारा ,जयकार ,करने लगे हैं

जो कल थे डराते,ओ डरने लगे हैं

अंधेरा मिटाने सूरज भी बने हम

कि इतिहास फिर, अपना दोहराने

अंबर में लहराया भगवा हमारा।।४।।


©पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ®

  ओज -व्यंग्य कवि,लेखक

डिंडोरी, मुंगेली, छत्तीसगढ़

8120032834/7828657057

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...