Monday, May 11, 2020

दर्द ए जुदाई में यूँ तेरी सदा याद रहा!


दर्द ए जुदाई में यूँ तेरी सदा याद रहा!
संभाला दिल फिर लबपे फरियाद रहा।

जताते कैसे इश्क़ का बहार ऐ सुखन!
दौर ए दुनियां से उलझते नाशाद रहा।

राफ़ता बने गर सफर कर चले आऊं!
पतादे किस दरपे फजाएँ आबाद रहा।

जीस्त जीलें जरा रुख ए पुर नूर होवे!
शबोरात दिल का दिलसे इरशाद रहा।

हम्मे  तुम  तुम्मे  हम  समा  चलें ऐसे!
प्यार की राह का पुख्ता बुनियाद रहा।

दर्द ए जुदाई में यूँ तेरी सदा याद रहा!
संभाला दिल फिर लबपे फरियाद रहा।


          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

दिल की बात आकर लब पे ठहर गये!

दिल की बात आकर लब पे ठहर गये!
है प्यार यूँ  कहते   जमाने  गुजर  गये।

जफ़ाओं की राह सर चढ़ती रही मगर!
देख के  हर  सूरत दिल भी मुकर गये।

रहा न जाये आप बिन गम है यही हमें!
हाथों में हाथ थामते छोड़के किधर गये।

फजा भी रुख रुतवा शब यूँ बदल दिये!
मिलें न दिल दिलसे जब भी जिधर गये।

आओ के फासले कम करलें दर्मियां और!
चाह है हमें आपही आंखों में संवर गये।

वफ़ा के उसूल ऐसे आरजू ए दिल खिले!
संच है  आप  हमारे  दिल  में उतर गये।

दिल की बात आकर लब पे ठहर गये!
है प्यार यूँ  कहते   जमाने  गुजर  गये।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

दिल होकर दूर आपसे बेहद मजबूर है!

दिल होकर दूर आपसे बेहद मजबूर है!
किस कदर रहें वक़्त को भी यही मंजूर है।

चाहें अगर और चाहत का काफिलाएँ बढ़ाते!
बंद रास्ते हुई जुनू ए इश्क़ मगरूर है।

हुए अलग ऐसे वफ़ाएं भी चिलमिलाये जैसे!
बढ़े फासले क्यूं लगता फजाओं का कसूर है।

फिर दिलसे यूँ दिल मिलेंगे वफ़ा सब खिलेंगे!
हुआ आलम ये रह ए उल्फत का दस्तूर है।

बस आईना है आंखें निहारे तेरी तस्वीर यूँ!
मिलें मिलके भी चाह का चढ़ता जब शुरुर है।

दिल होकर दूर आपसे बेहद मजबूर है!
किस कदर रहें वक़्त को भी यही मंजूर है।


          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

हवाओं ने रुख मोड़ लिया!

हवाओं ने रुख मोड़ लिया!
साँसों से रिस्ता तोड़ लिया।

उड़ते  हैं  पक्षी  फिर कैसे!
जहर जो फजा घोड़ लिया।

दिल  की  बात  लब कहे!
थोड़ा सा चाह जोड़ लिया।

जैसे  ही  पग  बढ़े  साकी!
वफ़ा ने  साथ छोड़ लिया।

ज्यों  ही  हम  कुछ   मांगे!
हाथों ने हाथ जोड़  लिया।

हवाओं ने रुख मोड़ लिया!
साँसों से रिस्ता तोड़ लिया।


          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

पूछे है सभी हाल कोई मिसाल तो नहीं!

पूछे है सभी हाल कोई मिसाल तो नहीं!
गर खो जाये दिल ऐसे कमाल तो नहीं।

हम बांध कर रखें सदा चाहत की डोरे!
छूट जाये कहीं साथ ऐसा सवाल तो नहीं।

वफ़ा गर निभा कर हम ख्याल तो करें!
टूट जाये फिर मन ऐसी मजाल तो नहीं।

आते जाते मिलें मिल कर हालात यूँ कहें!
खैर रखे खुदा हर पल सब बेहाल तो नहीं।

अभी डर दूरी लगा कर हमें बेदार है किये!
ऐसे कैसे रहें उफ्फ ये कहीं ज़वाल तो नहीं।

पूछे है सभी हाल कोई मिसाल तो नहीं!
गर खो जाये दिल ऐसे कमाल तो नहीं।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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रहने को तन्हा मजबूर है मगर!

रहने  को तन्हा  मजबूर है मगर!
रुस्वा हूं के इश्क़ जरूर है मगर।

हौसलों में अपने उड़ानों की असर!
चाहत के वास्ते मशहूर है मगर।

वक़्त की कहर आब ओ हवा का रुख!
पहर दो पहर महरूर है मगर।

दहसत से क़ल्ब दहला है सफर!
हालांकि ये रुख ए पुर नूर है मगर।

फासले से यूँ चराग ए उल्फत जले!
गर्द ए निगाह ए यार सिंदूर है मगर।

कहतें हैं चाह जिसको वफ़ा है दायरा!
दिलसे ही सही सब मंजूर है मगर।

रहने  को तन्हा  मजबूर है मगर!
रुस्वा हूं के इश्क़ जरूर है मगर।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

नजर नजर से करे बात कर लेने दो!


नजर नजर से करे बात कर लेने दो!
वक़्त गुजरे यूँ  पलकें  ठहर लेने दो।

इश्क़ कहते हैं किसे आओ पूछें दिल से!
नशीली निगाहों से सनम खबर लेने दो।

मिलके चाहत की सदा हम केह पायें तो!
रह ए उल्फत पे वफ़ा संवर लेने दो।

हसीन सूरत को आंखें रखे बसा कर के!
होकर करीब तो दिल में उतर लेने दो।

ख्वाब जितने हैं संग सारे पूरे कर जाएंगे!
अपने आगोश में जरा चाह निखर लेने दो।

नजर नजर से करे बात कर लेने दो!
वक़्त गुजरे यूँ  पलकें  ठहर लेने दो।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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न्यू २

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