Friday, August 31, 2018

व्हाटसएप बहुत सतायो

मैं सबसे छोटा सा बालक 👶🏻
          ग्रुप में जगह न पायो 
सब बैठे चैटिंग करते हैं               
          मोसो गाय चरवायो।

राधा के संग सभी गोपियां
          व्हाटसएप पर बतियायो
राधा को अब मेरी बतियां             
         तनिक नहीं सुहायो  
मैया मोरी व्हाटसएप
               बहुत सतायो।।
                ©®
✍ पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ✍
       मुंगेली - छत्तीसगढ़

दसनाम गोस्वामी शव संस्कार

गोस्वामी की शव की संस्कार पुत्र या शिष्य,कुल रीति से संस्कार करें।
शुद्ध जल से स्नान,भभुति, पुष्प आदि से पुजा करें!
चमकाध्याय व नमकाध्याय का पाठ करें, रूद्राष्टाध्यायी, रूद्र शूक्त का उच्चारण उसके आगे शंख की स्थापना करें (शंख मंत्र:-"दरेन्द्र विद्रावय कृष्ण पूरितोभीमष्व नोहरेर्हृदयाति कम्पयन।") शंख जल से शरीर का अभिषेक करें। शिर पर पुष्प (ॐ) भार्जन करें 💐।
नया वस्त्र  (भगवा वस्त्र) धारण करायें,भभूति सारे अंग पर , त्रिपुंड्र चंदन द्वारा तिलक करें, पुष्पमाला, रूद्राक्ष की माला धारण करायें,धूप देकर शरीर को उठाएं, ईशानादिपंचब्रम्हा मय रथ पर स्थापित करें। ॐकार से युक्त पांच सद्योजातादि ब्रह्मा मंत्रों का उच्चारण करते समाधि स्थल पर ले जाएं ("राम नाम सत्य है" यह कहना अनिवार्य नहीं है) ।
प्रणव तथा व्याहुति मंत्र द्वारा समाधि स्थान का पर्यवेक्षण करें 🌺।
समी पत्र,आसन,पंच ब्रम्हा मंत्रों का पाठ,पंचगव्य ,शव प्रोक्षण रूद्र शूक्त एवं प्रणव का उच्चारण कर स्वस्तीवाचन का पाठ बोलते हुए,शव को देवयजन (गड्डे) पर योगासन में बिठाएं,मुख उत्तर-पूर्व की ओर ,पुजा करें "विष्णो हन्यमिदं रक्षस्व":- दाहिने हाथ पर दण्ड!
"प्रजायतये न त्वदेतान्यन्यो:":-जल सहित कमण्डल बाएं हाथ पर!
फिर ब्रह्मा यज्ञानं प्रथमं, दोनों भौं का स्पर्स करें। रूद्र शूक्त का जप करें,धूप दीप दिखाकर, नैवेद्य पूर्वक फिर, वैदिक समाधि गायत्री मंत्र का दोनों कान पर उच्चारण करें (सामान्य गायत्री मंत्र,व हिंदी दोहावली या कवितावली की गायत्री मंत्र से जन्म मरण से मुक्ति नहीं होती है, वैदिक समाधि मंत्र से, शरीर छोड़ चुकी आत्मा पुनः शरीर में प्रवेश कर,पूर्ण रूप से बहिर्गमन कर जाती है और शिवलोक को प्राप्त करती है, जिससे शरीर में आत्मा तत्व की कोई अंश नहीं होने से,मृत व्यक्ति की,भूत प्रेत योनि में प्रवेश होने की संभावना समाप्त हो जाती है,व समाधि केवल योगासन में लगाएं, लिटाने से, मंत्र प्रभावशाली नहीं मानी गई है).
वैदिक समाधि गायत्री मंत्र:- ॐ भूम्यं पंच तत्व दर्शितं गत्यन्तम् अंततः यं यं कैलाश गमनम् करिष्ये (ॐ शांति शांति)
"मां नो महान्तभुत"-तारक मंत्र ॐ रां
नारियल के द्वारा शीर्षभेदन करे!(क्षेत्रीय रीति से भी शीर्षभेदन किया जा सकता है)
फिर परिवार एवं सहयोगी के द्वारा मिट्टी देवें!
और फिर गड्डा पाट देवें।पंचब्रम्हा मंत्र का पाठ करें।
यो देवा नाम प्रथम पुरस्तात् से लेकर तस्य प्रकृतिलीनष्य य: प: स महेश्वर:!!
महादेव का चिंतन करें (ॐब्रह्मणे नमः)
शिवलिंग का आकार उकेंरें या शिवलिंग रूपी पत्थर को विराजित करें मुख उत्तर दिशा में रखें, पदवेश (खड़ऊ) को रखें,शंख से ८ (आठ) बार अर्ध जल देवें। उसके तत्पश्चात पीठ तैयार कर ।पंच धूनी देवें।

:- यह विधि युग युगांतर से हमारी वंशावली में चली आ रही है, सभी क्रिया मंत्रोचारण से किया जाना चाहिए, जैसे-स्नान,आसन,पूजा,चंदन,त्रिपुण्ड्र,भगवा वस्त्र धारण,भस्म भभूति धारण, रूद्राक्ष धारण,दण्ड धारण,कमण्डर धारण आदि,सभी मंत्र इसलिए उपलब्ध नहीं कराई गई है,क्योंकि विषय बहुत बड़ी हो जाती, इसलिए झमा चाहते हैं, अनिवार्य वैदिक समाधि गायत्री मंत्र दी गई है। भविष्य में सभी उपलब्ध करा दी जाएगी 👏🌺👏

👏🚩 सादर ओम् नमो नारायण 🚩👏
          लेख:-"दसनाम पुष्पांजलि"
      लेखक ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ✍

               मुंगेली - छत्तीसगढ़
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Saturday, August 25, 2018

🚩जय दशनाम🚩

महादेव अमारो बाप छे
माँ शक्ति अमारी मात छे
भगवुं भस्म अने रुद्राक्ष अमारो ठाठ छे
ॐ नमो नारायण अमारू अभिवादन छे
ॐ नम: शिवाय अमारो जप मंत्र छे
गोसाई गोसावी अने गोस्वामी शान छे
पुरी ,भारती ,सरस्वती, गिरि,पर्वत,सागर,वन,अरण्य,तीर्थ अने आश्रम अमारी साख छे
माँ कामाक्षी,भद्रकाली,विमलल,अन्नपुर्णा,गौरी अमारी देवी छे
जगन्नाथ,सिध्धेश्वर,नारायण अने आदी वाराह अमारा देव छे
अतित दशनाम अमारो समाज छे
शिवालय अमारो ताज छे
महादेव उपर अमने नाझ छे
अेटलेज अमे शिववंश दसनाम छे।
              🚩जय दशनाम🚩

     ✍ पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ✍

        दसनाम गोस्वामी युवा रत्न
      (सम्मान से सम्मानित प्रवक्ता)
             मुंगेली - छत्तीसगढ़

भैय्या मैं राखी कैसे मनाऊं

पुनीत पावन सावन का महीना,राखी का त्यौहार,
तुम्ही बतलाओ तुम बिन बंधन बांधूं किसे मैं प्यार।
इस मतलब की संसार में,किसे बनाऊं अब मैं ढार,
भैय्या सरहद पर बैठे हो,मौत रही मंडराए.......
ऐसे जब रिश्ते खतरे में,कैसे मनाऊं अब मैं त्यौहार।

ईक वादा तूने राष्ट्र भक्ति का, लिया कसम मेरा लेकर,
तेरे आज की कमी से फिर,  मैं न तो गर्व से इठलाऊं।
आज देख,हालात आपकी,देश की राजनीति के कारण,
जब भाई बैठा कफन बांध सरहद,राखी किसे पहनाऊं।

तेरे बचपन की ओ नखरे,जो दे निकाल राखी,
                        और मैं डांट डांट,गांठ बार-बार लगाऊं।
मेरे रक्षा की खातिर तु ढाल सदा बन जाता,
                        अपनी सुरक्षा की किसे तलवार बनाऊं।
तेरे राखी में ना आने की गम में सुखती जाऊं,
                       अपनी दिल की दर्द,किसे अब मैं सुनाऊं।
मां से प्यार मिले भरपूर, पिता से मिले फटकार,
                       मेरे हीरे जैसे भैय्या,किसे शिकवा लगाऊं।
सेना में हो भाई मेरे पर हो जैसे बंधे हुए संसद,
                      तुम सोच रहे,बहना से वादा कैसे  निभाऊं।
एक वादा पे दिक्कतें कई,दुश्मन के आगे झुकें,
                     नाजुक राखी के बदले क्या हथियार उठाऊं।
कश्मीर में हर बार पत्थर से लहूलुहान हो ऐसे,
                    बंधे कमजोर हाथों में, पवित्र धागे न चढ़ाऊं।
गर विदाई हो मेरी तो,तुम रोने भी घर नहीं आए,
                   ऐसे देश में,अब पर्व की उत्साह कैसे मनाऊं।
बिन तेरे मेरे दिल के टुकड़े,सोना,हीरे मेरे भइया,
                   बोलो शेरे ए दिल,भैय्या मैं राखी कैसे मनाऊं।

                     🇮🇳 जय हिन्द वन्देमातरम् 🇮🇳

                    ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
                           सैन्य परिवार,सदस्य
                            मुंगेली - छत्तीसगढ़
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Friday, August 24, 2018

राखी के बंधन में फिर एक बार बंध जाएं

अटूट अमिट अविरल वादों की बंधन में बंध जाएं,
दो छोटी - छोटी नाजुक धागों को अमर कर जाएं।
जिन बहनों की हो नहीं,उनकी भाई अब बन जाएं,
इनकी सुरक्षा है खतरे में,आओ हम ढाल बन जाएं।
मुंह छुपाए बैठे, नेता और वरिष्ठ, पत्थरदिल जगाएं,
बहनों के सम्मान में,एक ऐसा हम अभियान चलाएं।
जिन बहनों को लगती है कि उनका कोई भाई नहीं,
उनके इस कमी और मन की कमजोरी को भगाएं।
राखी का त्यौहार ही सही,आओ प्रेम का संदेश बढ़ाएं,
नारी सुरक्षा सम्मान खातिर, एकता प्रतीक बन जाएं।
राखी के पवित्र वादों की , धारदार तलवार बन जाएं,
प्रेम बंधन की युगों की , रिश्ते को हम आज निभाएं,
जन्म शुरू हुई प्रेम से प्रेम में भले ही हम मिट जाएं।
पर आओ,प्रेम बंधन की  इतिहास  में अलख जगाएं,
वर्तमान युग में हुए कलंकित न,ऐसी विश्वास जगाएं।
हर भाई पर बहनों की फिर से अविरल विश्वास जगाएं,
आओ प्रेमसे राखी के बंधन में फिर एक बार बंध जाएं।।

            ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ✍

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दसनाम गोस्वामी समाज युवा रत्न सम्मान

पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी जी महाराज, भारतीय दसनाम गोस्वामी युवा रत्न से सम्मानित

Wednesday, August 22, 2018

छत्तीसगढ़ महतारी महिमा

धरती के अंगना मा सुरूज के जोति पहिली आथे जोरदार,

बिहना बिहना तरिया,के पानी,चमके जइसे हीरा के हे हार।
किसान जागे रहिथे फेर ओला देख के लजाथे सुरूजदेव,
नहा धो सबलेे, पहिली पूजा होथे राजिम,अऊ भोरमदेव।
जूर-मिल खेती-बाड़ी जाथें,कमल कस कोमल इँहा पीरित,
सातोंस्वर चित्रकोट मा उठे, छिड़गे खैरागढ़ मा मधुर संगीत। 
जून्ना झगरा भूलाके,नवा बूता संगे करे,जइसे बिहना के शीत,
एक दूसर ला बंटाथें हाथ, अइसे तो होथे इँहा मया पीरित।।
शबरी आश्रम इँहा प्रसिद्ध,राम बोइर खाये जूठा मिठास,
श्रृंगि के,कमंडल अइसन,महानदी के रचे गजब इतिहास।
मैकाल फईले हे, गंगरेल हे अथाह, मने रतनपुर में उछाह,
देथे अभी ले मयूरध्वज के नगरी, जऊंहर भक्ति के राह।।
धरम के नाम मा होवत बलि ,कंतेली में होगे अब तो  बंद,
देथे शांति के संदेशा, एकता के रंग, बस्तर मेला के आनंद।
आगर के निर्मल ये बहाव भइया,बावा बुड़ान में गे बड़ झूम,
राजा बनके भिखारी,प्रजा के,सुख दुख देखे तो घर-घर घूम।
कोरबा के कोईला,आमा-बोइर के खोईला,खाथें पूरा देश,
चिल्फी के घाटी, मैनपाट के दर्शन,कोनो रहे झैन अशेष।
नंदन,कानन पेंडारी,अब जंगल सफारी,अऊ अचानकमार,
हसदेव,सोंढूर के धार,ऊपर ले हांफ,कोनो संगम रहे न उधार।
छत्तीस राजा के छत्तीस ठन किला,सबो के बड़े बड़े मंदिर,
आदिवासी संस्कृति, दुनिया भर के जून्ना, सभ्यता के अमीर।
मल्हार सभ्यता, पचराही सभ्यता,सुंदर रतन के गज किला,
बोबरा,अईरसा,ठेठरी-खुरमी,चौंसेला,मिठाथे अड़बड़ चिला।
पांडव निर्मित श्वेतगंगा राममंदिर, बड़ जून्ना हावे दुनिया में,
दूधाधारी के मंदिर,बड़ शांति देथे,चाहे रहे घाम मँझनिहा में।
मल्हार मे सुघर बिहान, अकबर करे जिंहा ले बड़ उजार,
रतन मिले इँहा के सोनाखान, स्टील ले चमके जग संसार।
छत्तीसगढ़ में आके दीदी-भइया, घुटे अंग्रेज घलो के दम,
हमर जन्मभूमि अइसन ये,कुछु नि हन कखरो ले तो कम।
जातिपात नइये भइया, तिहार बंटे सबो में सुघर मीठा खीर, 
अपन के पीरा समझइयाँ इँहा हे,अऊ नारायण असन वीर।
अरपा पैरी, शिवनाथ कस नदिया,जंगल झाड़ी नइ कटान,
कोन गुजराती कोन बिहारी, सबो रहे,जईसे हितवा मितान।
धान के कटोरा,पऊरसे सबला,कोनो भूँखे रहे अब तो झन,
बोली में गुरतुर, वचन के पक्का, एकदम सिधवा तो हमन।
ओही छाता पहाड़, इँहें के भइया जिहाँ बाबा बाँटें गियान,
बने बने हे जम्मो तिहार,अइसे लागे, एके महतारी के संतान।
हमर बड़ गौरव हे भइया ,माई,रतनपुर अऊ दाई,डोंगरगढ़।
सबले बढ़िया कहाथे, दुनिया में ,हमर सुघर दाई छत्तीसगढ़।।
      जय जोहार जय छत्तीसगढ़

  ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
        "छत्तीसगढ़िया राजा"
           मुंगेली-छत्तीसगढ़
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केरल पर व्यंग्य

लाशों का अम्बार लगा है, सड़क अटी है केरल में।
बाढ़ भयानक , पानी पानी, बादल फटी है केरल में।।
ईश्वर का अभिशाप लगा है, सहन करो चुपचाप इसे।
भूल गये क्या बीच सड़क पर गाय कटी है केरल में ।।

✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
मुंगेली महाराज - छत्तीसगढ़
           साभार:-
श्री ज्ञानेन्द्र गिरि, देहरादून
       95578 54847

Monday, August 20, 2018

मेरठ कांड पर गोस्वामी वार

छेड़खानी का विरोध जो करती हैं, बच्चियां,
                    दरिंदगी ये अपना उनपे ही बरसाते हैं।
अय्यासी पूरी जो ये,नहीं करती हैं, बच्चियां,
              सड़कों पे जिंदा भी, जलायी ये ही जाती हैं।।
कुछ खास नहीं किया था, सर्वज्ञाता रावण ने,
                पुतला फिर भी तो ये उन्हीं का जलाते हैं।
दूसरों की बहन,बेटी खूद ही है छेड़ते,और,
             सरकार अपनी ये,नारी सुरक्षा,की बताती हैं।।
अब ऐसा लगता है,संविधान में नई धारा लिख,
                    एक नया इतिहास अब तो बनाना होगा।
बलात्कारियों को भी खुलेआम धिक धिक, 

                      अग्नि कुण्ड में अब तो जलाना होगा।।

आंचल पीछे छुपी ममता,अनल रूप धर,
              कालिका रूप अब तुम्हीं को जगाना होगा।
समाज, नेता, कानून किसी पे भरोसा न कर,
             चण्डी बन इनके अस्तित्व को मिटाना होगा।।

              ✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
                       मुंगेली-छत्तीसगढ़
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हनुमत स्तुति

जै हनुमान कृपा के निधान सुजान करौं विनती कर जोरी,
श्री रघुनाथ के प्रिय पात्र कृपा कर नाथ करवो मम ओरी।
राम चरित्र चहौं कछु भासण कीजै सहाय कृपा निधि मोरी,
चूक विसार करो हिय वास यह दास सदा शरणा गति तोरी।।

✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
       मुंगेली - छत्तीसगढ़
        7828657057

Sunday, August 19, 2018

★ संसोधित SC-ST Act ★

हरिजन शब्द रहा ब्राह्मण का,
         गांधी ने जिसको छीन लिया।
इसी शब्द में फिर दलितों को,
               बड़े हर्ष से लीन किया।।
लेकिन अब हरिजन शब्द से भीे ,
              लगता है उन्हें घिन आता है,
इसीलिए घर-आंगन में बस ,
              भीम का चित्र सुहाता है ।।
आज उसी गलती को फिर से,
                दामोदर मोदी दोहराएंगे।
फिर तो सम्भव नही,लौटकर,
                 फिर सत्ता में आएंगे।।
हिन्दू-हिन्दू करते -करते ,
                   कब तक हिन्दू गाएंगे।
हरिजन-एक्ट गले मे लेकर,
                  कैसे कमल खिलाएंगे ।।
तुमने कहा-सब्सिडी छोड़ो,
                   हमने सुविधा त्याग दिया।
लेकिन आरक्षण तजने का,
                 तुमने न उनको सलाह दिया।।
बड़ी-बड़ी गाड़ियां रखकर,
                 बड़े बंगलो में रहते है।
फिर भी बड़े प्यार से खुद को,
                 'दलित' रियासी कहते है।।
'दलित' देखना अगर तुम्हें हो,
                 चलकर मैं दिखलाता हूँ।
आज सवर्णो के आंगन में,
                 सबसे 'दलित'मैं पाता हूँ।।
भूखा ब्राह्मण पड़ा हुआ है,
                 पेट-पीठ को एक किये।
'ठाकुर साहब ' भिखमंगे है,
                 अब कैसे उनके प्राण जियें।।
लेकिन सरकारी 'सिस्टम के,
                 ये सवर्ण अपराधी हैं।
घर मे नही है दाना इनके,
                 खाने को रोटी 'आधी' है।।
नही 'योजना'इनकी खातिर,
                नही वजीफा है बच्चों का।
तुम भी तो हो यही सोंचते,
                 देश तो केवल है 'चच्चों 'का।।

तुमसे तो अच्छी 'माया' थी,
                  कहे- करे में भेद नही था।
खाया-पिया-निभाया उसकी,
                  थाली में तो छेद नही था।।
नही सम्भलता देश अगर तो ,
                   अन्य कार्य मे जुट जाओ।
'कुर्सी' है,अर्थी तो नही है,
                   इस कुर्सी से उठ जाओ।।

             ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                      मुंगेली - छत्तीसगढ़
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Saturday, August 18, 2018

छत्तीसगढ़ मा छत्तीसगढ़िया चाही

गे जमाना अब गुलामी के, मोला स्वतंत्रता अब चाही।
भूल जव बात निलामी के, मोला अखंडता अब चाही।
जाति पाति के भरम ला संगी,जेन हर भुला अब पाही।
धरम करम के बाढ़त हे जंगी,ओला ऐहीच मन मिटाही।
ओ अंग्रेजिहा मन चल दिस,तो अब नेता मन अगूवाहीं।
हिंदी धर्म ला छोड़ के भइया,अब भाषा के राज चलाहीं।
भूलागेव का ओ दिन,सोनाखान में मुँह के खाए रहिस।
बहतराई राजा ह बैरिस्टर,देवाल मा चिपकाए रहिस।
आज ओही बेरा आगे हे,पश्चिमी सभ्यता भगाना हे।
हमर छत्तीसगढ़ में आगू, छत्तीसगढ़ी ल गोठियाना हे।
जब कोनो सरकारी आफिस जाथन,गँवईहा कहाथन।
हमरे घर के भात खवाके,उल्टा अंग्रेजिहा थपरा खाथन।
जेन छत्तीसगढ़ के अफसर,हमर पीरा नई समझ पाही।
हमन ल तो भइया अंग्रेजिहा सही,हितवा अब नि चाही।
गर देश स्वतंत्र होगे हे,अंग्रेजी ले छुट्टी बढ़िया चाही।
पीरा हमर समझे वो,छत्तीसगढ़ मा छत्तीसगढ़िया चाही।

              ✍पं. खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
                     "छत्तीसगढ़िया राजा"
                       मुंगेली - छत्तीसगढ़
           ८१२००३२८३४ - ७८२८६५७०५७
khemeshwarpurigoswami@gmail.com

Thursday, August 16, 2018

भारत रत्न को विनम्र श्रद्धांजलि

भारत को आयाम नया दे, निखारा विश्व पटल।
एक नए युग निर्माण के, नींव रचा वो अटल ।।
जिनके कमी से, फिसल गया हर किसी के पैरों तले भूतल।
ऐसे भारत रत्न,युग पुरूष को, करें कोटि नमन हृदयतल।।
अपनी हार से राष्ट्र हार अपनी जीत से जीत।
जीवन अर्पण कर दिया,अटल,अब नाम किया अमिट ।।
जिनके जाने की खबर सून , आसमान भी रोया है।
सच कहता हूं,देश, मां भारती ने अनमोल रतन को खोया है।।

💐💐🇮🇳अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 🇮🇳💐💐

      ✍ पं. खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ✍

    मुंगेली छत्तीसगढ़-८१२००३२८३४

झगरा नि सिराय संगवारी

असमंजस के थपरा,हर कोनो तो इहाँ खाथे संगवारी,
बड़े खड़ा होके महल में,देख देख बिजराथे संगवारी।
जुग बदलगे,हाल नि बदलिस,राजा मन के राज रहे हे,
जनता मन के,दु:ख पीरा ले,ओही जुना नाता संगवारी।
पहिली तो नेता जखम देथे, फेर नून घलो उन डारत हें,
सबला आपस मा लड़वाये,फेर गलत कहिथे संगवारी।
जिहाँ शांत रहे थोकिन,अब, उहों बवाल तो करवावत हे,
सपना मा घलो नि दिखे,जिनगी हाँसत-गावत संगवारी।
पाँव पाँव मा जनवर कस दर्शन, मानवता मरत जावत हे,
जेन तोर आँव कहि आगू आथे,दरद  देके जाथे संगवारी।
सबके मन बनगे कुरूक्षेत्र, इहां लहू के धार बोहावत हे,
लोकतंत्र में मतलब के,अब,झगरा नई सिराय संगवारी।
कोनो सुनके गुसियावत हे,कोनो सुन हँस गोठियावत हे,
सत के "खेमेस्वर" गठरी छोरे,सही बात सुनाय संगवारी।

                 ✍पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✍
                        "छत्तीसगढ़िया राजा"
                          मुंगेली - छत्तीसगढ़
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   khemeshwarpurigoswami@gmail.com

Tuesday, August 14, 2018

आजादी का मतलब

अगस्त १५ ,सन १९४७ के होगे रहेन हमन आजाद,
आजादी के मतलब का समझेन अतका दिन बाद।
अंगरेजिहा मन के शासन में,घेराय रहेन गुलामी मां,
जाति पाति के गुलाम होगेन संमिधान बने के बाद।।

अपने देश मा गुलाम हन हमन,

पहिली गोरिया करिया मा बांटिन उन मन जी हमला,
आज हमर अपने मन,कर दिस जाति अऊ धरमवाद।
भारत के पहिचान रहस,अलग-अलग पंथ ,एकता के रंग
वो भारत आज गोठियात हे,आरक्षन जातपातके बात।।

मर गिन मिट गिन कतको, नेता मन देवाय बर आजादी,
हमर करम देख ऊंखर आत्मा,कहिही,रहो तुमन आबाद।
जातिवाद, आरक्षण अऊ धर्मवाद हर मति हमर भरमाय
नेता मन अपने ला देखय,जनता ला फोकट लड़वात।।

खुदे ल समझाव अब  अतका तो,  बर्बादी होय  के बाद,
बलदानी जवान के सेती,समझव होगे हन हम आजाद।।
      जय हिन्द, जय भारत जय छत्तीसगढ़

               ✍पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✍
            रचयिता - मानष दर्पण (रचना जारी)
                       मुंगेली छत्तीसगढ़
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Sunday, August 5, 2018

मैदाने जंग मिलिस

दुनिया मा वइसे तो हर कोनो के साथ संग मिलिस
फेर का बतांव सबो के चेहरा मा एकेच रंग मिलिस
मज़हब  के अंजोर  मा बरत  रहिस जग संसार
मज़हब के बाबा मन ले   फेर शहर तंग मिलिस
सत के पांखी जेन  लगाइस   वो तो उड़ गेहिस
वो मनखे बलदानी बर एक नवा बिहान मिलिस
काली जुवर तक धकियाके  देवत रहिस परान
भाखा म ओखर आज   अजीब ऐ ढंग मिलिस
जेन हर  लिबास  ओढ़े   रिहिस  बने असुल के
ओ तो आज  बेइमानी के  पतंग उड़ात मिलिस
सूली मा  घलो चढ़  गे इंहा  बने  लागथे किहके
तारिख़ के पतरा मा एक अइसन प्रसंग मिलिस
अएना मा मूहू  देख  अकचका  गेंहेव आज  मैं
उहू हर मोला देख कऊनकदर अब दंग मिलिस
मयारू जिहाँ  गेहिस उहाँ  बड़  भीड़  रहे जमा
हाथन मा सबके एक  छुरा जसन  संग मिलिस
मिलके चलत रहिस  जम्मो  रद्दा तो शांति डहर
काबर बिरासत मा ये मैदाने जंग हमला मिलिस

✍ पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी ✍
     "छत्तीसगढ़िया राजा"
       मुंगेली- छत्तीसगढ़
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न्यू २

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