*⚜🚩 भारतीय खटिया ( खाट ) पर सोने ( निंद्रा ) का लाभ‼️ ⚜*
*संपूर्ण दुनिया आज भारत को पुन: विश्वगुरु 👳 मानने को तैयार है। हमने दुनिया को सब सिखाया है, आज का आधुनिक विज्ञान हमारे पूर्वजों 👳 की खोजों और उनके आविष्कार के सामने तुच्छ और बोना दृष्टिगोचर होता है*🙏🏻😳⛳
*आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य 🙄 और गर्व 👍होगा कि हमारे पूर्वज,,, अर्थात हमारे दादा के दादा परदादा और उनके भी दादा,,, 👳 सब बहुत बड़े वैज्ञानिक थे...!!*😲😲
*🙏🏻⛳जी हां मित्रों,, हमारी 🚩 भारतीय संस्कृति में प्रत्येक वस्तु निर्माण या आविष्कार का सटीक और वैज्ञानिक कारण होता है,, और वह प्रकृति के नियमों का भी उल्लंघन नहीं करती।।*🙏🏻⛳😊
*ऑस्ट्रेलिया में डेनियल नाम का एक आदमी भारत की देसी खटिया ९९० ऑस्ट्रेलियन डॉलर ( हमारे ६२ हजार रुपए) में बेच रहा है , 🤷🏻♂और हम हैं कि 👉 इसे "आउट ऑफ फैशन मान" कर इसकी खटिया खड़ी कर रहे हैं । इसके फायदे फैशन के आगे बौने बन गए हैं ।* 😳✋🏻
👇🏻😊 *"सोने ( नींद ) के लिए" खटिया हमारे पूर्वजों 👳 की सर्वोत्तम खोज है । हमारे पूर्वजों को क्या लकड़ी को चीरना नही आता होगा? वह भी लकड़ी चीर के उसकी पट्टीयां बना कर डबलबेड 🛌बना सकते थे,. जिन्होंने वेद पुराण 📚 लिखे, वह डबलबेड 🛌 नहीं बना सकते थे क्या..?* 🤔
*आधुनिक साइंस 🔬ने विकास के नाम पर मानव 👨🏻⚕️ को केवल रोग दिये हैं,, और प्रकृति को दूषित किया है।*
*डबलबेड 🛌 बनाना कोइ रॉकेट-साइंस 🚀 नहीं है । ✋🏻 लकड़ी की पट्टीयों में कीलें ही तो 🔨 ठोकनी होती है । खटिया भी भले ही कोई साइंस न हो.. किंतु एक समझदारी है,, ✋🏻कि कैसे शरीर को अधिक आराम लाभ मिल सके ⁉️ 😊 खटिया बनाना एक कला है 🙏🏻 उसे रस्सी से बुन कर बनाना पड़ता है और उस में १ कला का सहारा लगता है ।*😊⛳
*👇🏻😊 जब हम सोते हैं , तब सिर और पैर के अतिरिक्त पेट को अधिक रक्त की आवश्यकता होती है, क्योंकि रात हो या दोपहर हो लोग अधिकांश भोजन के उपरांत ही सोते हैं,, 🙏🏻😊 पेट की पाचन क्रिया के लिए अधिक रक्त की आवश्यकता होती है,, इसलिए सोते समय खटिया की जोली ( नीचे को झुकना ) स्वास्थ रखने में लाभ पहुंचाती है।।*😳✔
*दुनिया में जितनी भी आरामदायक कुर्सियां देख लो,, उसमें भी खटिया की तरह जोली बनाई जाती है । बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपड़े की जोली का ही था। ✋🏻😳 लकड़ी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया है , आधुनिकता ने 👉 खटिया पर सोने से कमर का दर्द और कंधे का दर्द ( जिसे सर्वाईकल और साईटिका ) कभी नहीं होता था ।*😳
*😊⚜अन्य लाभ*🙏🏻⛳👇🏻
*डबलबेड 🛏के नीचे अंधेरा होता है, जिसके कारण कीटाणु 👾 उत्पन्न होते हैं.. भार में भी अधिक होता है,, ✋🏻 तो प्रतिदिवस सफाई नहीं हो सकती❗️*😕
*खटिया को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूर्य की धूप "सर्वोत्तम कीटनाशक" है,😊 और खटिया को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नही होते हैं ।* ✋🏻😀
*खटिया कपास की रस्सियों से बनी होने के कारण 👉 सोने के लिऐ , उस पर बिछाने के लिऐ अन्य किसी गद्दे आदि की आवश्यकता नही है। जिससे कमर को हबा मिलती रहती है और पशीना आदि से भी रीढ़ आदि सुरक्षित रहती है। लकड़ी से बना बैड 🛌भारतीय वातावरण के लिऐ नही है। यह ठंडे देशों इंग्लैंड आदि देशों के लिऐ उपर्युक्त है, उन्ही के कारण भारत मे उपयोग होने लगा। अंग्रेज़ी शासन के बाद हम अधिकतर उनकी लाईफ़ स्टाइल अपनाने लगे।*✋🏻😠
*भारत के ७०% प्रतिशत गाँव में अब भी इसी खटिया पर सोया जाता है। गाँवों के मानव साईटिका व सरवाईकल व्याधि से अभी भी बचे हुऐ है। हम अपनी खटिया पर गौरव करते है।* 😊🙏🏻
*किसानों 👳 के लिए खटिया बनाना अत्यंत सस्ता पड़ता है, मिस्त्री को थोड़ी मजदूरी ही देनी पड़ती है। बस ✋🏻😳 कपास , कुशा, जूट, सरकंडा स्वयं का सस्ता होता है। तो स्वयं रस्सी निर्माण कर लेते हैं 😊और खटिया स्वयं ही बुन लेते हैं । 😳 लकड़ी भी स्वयं की ही दे देते हैं , 😳✋🏻अन्य किसी व्यक्ति को लेना हो तो २ हजार से अधिक खर्च नही हो सकता । 😳✋🏻 हां❗️ कपास की रस्सी के बदले नारियल आदि की सस्ती रस्सी से काम चलाना पड़ेगा। आज की दिनांक में कपास की रस्सी महंगी पड़ेगी,, सस्ते प्लास्टिक की रस्सी और पट्टी आ गयी है,,, लेकिन वह सही नही है, असली आनंद नही आएगा❗️ स्वास्थय के लिऐ भी उतनी सही नही है‼️*✋🏻😊
👍 *२ हजार की खटिया के बदले हजारों रूपए की दवा और डॉक्टर का खर्च बचाया जा सकता है। भारत मे यह कुटीर उद्योग धंधे के रूप में भी कारगर था। जिससे समाज मे ताना बाना मज़बूत ।*✋🏻😊🙏🏻
*घर पर रहें❗️सरकार के नियमों का पालन करे और खटिया पर ही आराम करें ‼️ 🙏🏻🤷🏻♂🤷🏻♂*
*सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की शुभ मंगल कामना 🙏🏻⛳वंदेमातरम_🙏🏻😊⛳*
आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057