Wednesday, May 6, 2020

बहक जाऊं न कहीं आपकी सदा लेकर!

ग़ज़ल

बहक जाऊं न कहीं आपकी सदा लेकर!
रूबरू आये हो यूँ हमनवा अदा लेकर।

मिलाकर चल कदमों को मिलाये दिल भी!
रुत सजा रह ए उल्फत का रस्मे वफ़ा लेकर।

धड़कता है धड़कन और हलचल सी मची!
जता जा चाह दर्द ए दिल का दवा लेकर।

चले आओ हसरत और खिलने से लगे!
के गुजरता जाये सफर भी वास्ता लेकर।

हमसफर यूँ हमसे मुहब्बत कीजिए फिर!
ढले आयें दिलसे दिल का राब्ता लेकर।

बहक जाऊं न कहीं आपकी सदा लेकर!
रूबरू आये हो यूँ हमनवा अदा लेकर।

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

बदले मौसम गर चाह न बदलने दीजिए!


बदले मौसम गर चाह न बदलने दीजिए!
रह ए उल्फत पे वफ़ा से संभलने दीजिए।

वक़्त गुजरे संग हसरत भी दिलका खिले!
चार सू अपने साख ए गुल को खिलने दीजिए।

आइये मिलके हंसीं घर हम सजाएं फिर से!
दिलसे दिलको मन मनसे भी मिलने दीजिए।

जोड़ये रिश्तें यहां वास्ते पे भरोसा लेकर!
लम्हा लम्हा फिर चाहतों को पलने दीजिए।

जोश ए जुनू ए इश्क़ यूँ बढ़ती जाये अक्सर!
रुख ए पुर नूर हो प्यार में मचलने दीजिए।

बदले मौसम गर चाह न बदलने दीजिए!
रह ए उल्फत पे वफ़ा से संभलने दीजिए।

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

ऐसा हुआ है हाल मेरा, तेरे प्यार में।

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शेर- लम्हों ने सताये हैं जिंदगी ने रुलाया!
      लगी जो आग है किसी ने ना बुझाया।

आंखों से अश्क़ बह गये, तेरे इंतजार में!
ऐसा  हुआ  है  हाल  मेरा,  तेरे  प्यार में।

हर  पल  तेरी  जुदाई,  तड़पाये  है  हमें!
सदियां गुजर गई यूँ, तेरे इश्क़ के खुमार में।

महब्बत में लम्हा लम्हा, हम ढलते गये सनम!
हैं  चाहत की डोर बांधे, तेरे दीदार में।

आजा के गले लगालूं, गम ए दिल भुलालूं!
जीना हमें आ जाये फिर, तेरे बहार में।

मेरे दिल में हमनवा, तुंहीं रहती है सदा!
हूँ बू ए गुल महकाये, तेरे आसार में।

आंखों से अश्क़ बह गये, तेरे इंतजार में!
ऐसा  हुआ  है  हाल  मेरा,  तेरे  प्यार में।


         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

हंसीं चेहरे पे लाकर मुस्कुराया कीजिए!

हंसीं चेहरे पे लाकर मुस्कुराया कीजिए!
कुछ पल यूँ अपने गमों को भुलाया कीजिए!

कौन जाने कहां कदम ठहर जाये फिर से!
रह ए उल्फत वफाओं से सजाया कीजिए।

वक़्त के साथ जीस्त बदलता है मगर!
संग पहलू के मुहब्बत भी निभाया कीजिए।

हम मेहमां हैं यहां मुशाफिर की तरह!
चाह का दीपक सफर में फ़ैलाया कीजिए।

जीलें आ दिलसे दिलको हम मिला करके!
पल दो पल की जिंदगी यूँ बिताया कीजिए।

हंसीं चेहरे पे लाकर मुस्कुराया कीजिए!
कुछ पल यूँ अपने गमों को भुलाया कीजिए!

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057


छत्तीसगढ़ के बासी

बासी के गुण कहुं कहां तक ,इसे न टालो हांसी में।
गजब बिटामन भरे हुए हैं, छत्तीसगढ़ के बासी में!!

               ©पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी®
                      ओज व्यंग्य कवि
                 डिंडोरी मुंगेली छत्तीसगढ़
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कोरोना कर्मवीर

हे    कर्मवीर    हे    योद्धाओं
तेरा   सत्  - सत्   नमन   हो।
दशो दिशा में विजय धोष हो
तेरा   सत्  -  सत्   नमन  हो।।

मूल  नायक  हो सहायक हो
आप  कर्णधार  विधायक हो।
कोरोना    से    लड़ने   वाले
आप  ही  वो  प्रतिपालक हो।।
हे   धर्म   वीर   हे   योद्धाओं
तेरा   सत्  -  सत्  नमन  हो..

तुम ही शासन तुम ही प्रशासन
भूल  गये  अपने  सब  भाषण।
सेवा   में   सब   भूल   गये  हैं 
कौन  रावन  है  कौन दुशासन।।
हे    मर्म    वीर   हे   योद्धाओं
तेरा    सत्  -  सत्   नमन  हो..

डाक्टर   नर्स   सफाई   कर्मी
डटे   हैं  अब  सरकारी  धर्मी।
पालन   हो  सरकारी  निर्देश
हम   बचेगे    हमारा    प्रदेश।।
हे    शूरवीर    हे    योद्धाओं
तेरा   सत्  -  सत्  नमन  हो..

हाथ  सफाई  घर  में  रहना
मास्क लगाए तो ही  बचना।
अपने  से  अपनों  की  दूरी
यही है अब सब का कहना।
हे   कालवीर  हे   योद्धाओं
तेरा  सत्  -  सत्  नमन  हो..

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

लाकडाउन में शराब बिक्री पर


इकाॅनोमी बूस्टर का भूत
घर - घर मचा रहा कोहराम
साजन सड़क पर पड़े टूल्ल
घर - घर पसरा भूख
देश का अर्थ बढ़े न बढ़े
घर का बिगड़ा हाल
माह भर से शांत पड़े थे
अब उगल रहे है आग
निकले थे राशन लाने
राह में देशभक्ति ने मारा जोर
फेक सड़क पर राशन का झोला
लग गये देश का अर्थ बढ़ाने
शांत लहू में आयी गर्मी
करने लगे दुश्मन की ऐसी - तैसी
जैसे - तैसे रौद्र रूप में घर को लौटे
करने लगे ' कोरोना ' की पिटाई
' कोरोना ' का तो पता नहीं
बच्चों संघ मैं भी हो गई घायल
घर का चुल्हा शांत पड़ा
भूख से पसरा घर में सन्नाटा
आग लगे ऐसे निर्णय पर 
जो घर - घर मचाये तबाही ।


          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...