Wednesday, May 6, 2020

राष्ट्र भाषा (घनाक्षरी छंद)


हिन्दी का विशाल पाट,दूर-दूर लौ दिखात,
बाढ़ की विभीषिका सी, रंग मोद लासिनी,
घाट-घाट बाट-बाट,तीरथ प्रयाग राज,
संतन सुसंतन के,मेल सो सुहासिनी।
हिम से निकषि धाइ,सागर से मिलि जात
अंक में लपेट निज,प्यार की प्रकाशिनी,
एहिं भाँति हिंदी आज,बनी माथ बिंदी सी है
भारत की भाषन सों,बनी मृदु भाषिनी।

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

खिले थे गुल चाहत की तुम्हें याद हो के न हो।1।

मिले थे हमतुम कभी  तुम्हें  याद  हो के न हो!
खिले थे गुल चाहत की तुम्हें याद हो के न हो।1।

बिखरी बिखरी थी उल्फत का रंग फजाओं में!
मिलने आये थे तभी  तुम्हें  याद हो के न हो।2।

लगी थी आग इसकदर दोनों तरफ महब्बत का!
कसमें खाये थे सभी तुम्हें याद हो के न हो।3।

निभाये प्यार को रखना यही कहते थे सदा!
जुदा ना हों जीते जी तुम्हें याद हो के न हो।4।

तोड़कर चल दिये फिर क्यूं कस्म ए वादे तूने!
सजाये ख्वाब उल्फत की तुम्हें याद हो के न हो।5।

मिले थे हमतुम कभी  तुम्हें  याद  हो के न हो!
खिले थे गुल चाहत की तुम्हें याद हो के न हो।1।


         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

बहक जाऊं न कहीं आपकी सदा लेकर!

ग़ज़ल

बहक जाऊं न कहीं आपकी सदा लेकर!
रूबरू आये हो यूँ हमनवा अदा लेकर।

मिलाकर चल कदमों को मिलाये दिल भी!
रुत सजा रह ए उल्फत का रस्मे वफ़ा लेकर।

धड़कता है धड़कन और हलचल सी मची!
जता जा चाह दर्द ए दिल का दवा लेकर।

चले आओ हसरत और खिलने से लगे!
के गुजरता जाये सफर भी वास्ता लेकर।

हमसफर यूँ हमसे मुहब्बत कीजिए फिर!
ढले आयें दिलसे दिल का राब्ता लेकर।

बहक जाऊं न कहीं आपकी सदा लेकर!
रूबरू आये हो यूँ हमनवा अदा लेकर।

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

बदले मौसम गर चाह न बदलने दीजिए!


बदले मौसम गर चाह न बदलने दीजिए!
रह ए उल्फत पे वफ़ा से संभलने दीजिए।

वक़्त गुजरे संग हसरत भी दिलका खिले!
चार सू अपने साख ए गुल को खिलने दीजिए।

आइये मिलके हंसीं घर हम सजाएं फिर से!
दिलसे दिलको मन मनसे भी मिलने दीजिए।

जोड़ये रिश्तें यहां वास्ते पे भरोसा लेकर!
लम्हा लम्हा फिर चाहतों को पलने दीजिए।

जोश ए जुनू ए इश्क़ यूँ बढ़ती जाये अक्सर!
रुख ए पुर नूर हो प्यार में मचलने दीजिए।

बदले मौसम गर चाह न बदलने दीजिए!
रह ए उल्फत पे वफ़ा से संभलने दीजिए।

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

ऐसा हुआ है हाल मेरा, तेरे प्यार में।

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शेर- लम्हों ने सताये हैं जिंदगी ने रुलाया!
      लगी जो आग है किसी ने ना बुझाया।

आंखों से अश्क़ बह गये, तेरे इंतजार में!
ऐसा  हुआ  है  हाल  मेरा,  तेरे  प्यार में।

हर  पल  तेरी  जुदाई,  तड़पाये  है  हमें!
सदियां गुजर गई यूँ, तेरे इश्क़ के खुमार में।

महब्बत में लम्हा लम्हा, हम ढलते गये सनम!
हैं  चाहत की डोर बांधे, तेरे दीदार में।

आजा के गले लगालूं, गम ए दिल भुलालूं!
जीना हमें आ जाये फिर, तेरे बहार में।

मेरे दिल में हमनवा, तुंहीं रहती है सदा!
हूँ बू ए गुल महकाये, तेरे आसार में।

आंखों से अश्क़ बह गये, तेरे इंतजार में!
ऐसा  हुआ  है  हाल  मेरा,  तेरे  प्यार में।


         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

हंसीं चेहरे पे लाकर मुस्कुराया कीजिए!

हंसीं चेहरे पे लाकर मुस्कुराया कीजिए!
कुछ पल यूँ अपने गमों को भुलाया कीजिए!

कौन जाने कहां कदम ठहर जाये फिर से!
रह ए उल्फत वफाओं से सजाया कीजिए।

वक़्त के साथ जीस्त बदलता है मगर!
संग पहलू के मुहब्बत भी निभाया कीजिए।

हम मेहमां हैं यहां मुशाफिर की तरह!
चाह का दीपक सफर में फ़ैलाया कीजिए।

जीलें आ दिलसे दिलको हम मिला करके!
पल दो पल की जिंदगी यूँ बिताया कीजिए।

हंसीं चेहरे पे लाकर मुस्कुराया कीजिए!
कुछ पल यूँ अपने गमों को भुलाया कीजिए!

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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छत्तीसगढ़ के बासी

बासी के गुण कहुं कहां तक ,इसे न टालो हांसी में।
गजब बिटामन भरे हुए हैं, छत्तीसगढ़ के बासी में!!

               ©पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी®
                      ओज व्यंग्य कवि
                 डिंडोरी मुंगेली छत्तीसगढ़
            8120032834/7828657057

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...