Monday, May 18, 2020

के प्यार होता है क्या (गीत)


उल्फ़त की दुनियां सजाकर,
देखो ज़रा मुस्कुराकर,
के प्यार होता है क्या।।
चाहत का अरमां जगाकर,
देखो गले से लगाकर,
के प्यार होता है क्या।१।

हसरत हमारी खिलेगी सपने सजेंगे,
सदा फिर महब्बत का रुत निखरेंगे।।
आंखों में हमको बसाकर,
देखो नजर को मिलाकर,
के प्यार होता है क्या।२।

कुछ हम कहें और तुम भी तो कुछ सुनाओ,
ढलें आओ फिर ढलें आओ फिर।।
गम को कुछ पल भुलाकर,
देखो खुशी को जताकर,
के प्यार होता है क्या।३।

आओ सँवारे हसीं ख्वाबों को फिर से,
दिल को मिलायें दिलवर चले आ दिल से।।
राहों में गुल को बिछाकर,
देखो वफ़ा को निभाकर,
के प्यार होता है क्या।४।

लेके ढलो जिंदगी में हंसीं पल,
गम जताये दिल को रहा हूँ बेकल।।
मुश्किल में भी खिल खिलाकर,
देखो सभी को हँसाकर,
के प्यार होता है क्या।५।

उल्फ़त की दुनियां सजाकर,
देखो ज़रा मुस्कुराकर,
के प्यार होता है क्या।।
चाहत का अरमां जगाकर,
देखो गले से लगाकर,
के प्यार होता है क्या।१।

(२२१२-२१२२-२२१२-२१२२-२२१२-२२२)

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

Saturday, May 16, 2020

*🙏🏻माँ सर्वप्रथम गुरु🙏🏻*

*🙏🏻माँ सर्वप्रथम गुरु🙏🏻*


*👉🏻सबसे प्रथम गुरु माँ🤱🏻 होती है। मै हर उस माँ 🤱🏻को बहादुर मानता हूं, जिसके बच्चे सेना में हैं या एक अच्छे नागरिक जिम्मेदार हैं।*✔️🚩

*🚩जिस भांति एक कुम्हार मिट्टी के लौंदे को प्यार ,मार या थपथपा कर आकार देता है, और एक सुदंर रचना करता है। ठीक उसी भांति माँ🤱🏻 भी करती है। बच्चा भी तो बस एक मिट्टी का लौंदा होता है।एक माँ उसके आचरण को आकार देती है।*🚩✔️😊

*👉🏻कोई बच्चा यदि गलत हरकत करता है, तो मैं उसके माता पिता के परवरिश को दोष देता हूं । (यह मेरे अपने विचार है) बालक जब छोटा हो, तो उसकी प्रत्येक जिद्द की पूर्ति की जाती है। 😊✔️यह सोच कर कि बड़ा होगा तो समझ जाएगा। किंतु बड़ा होकर भी वह इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझने लगता है।*✔️🚩

*मुझे याद है.....बचपन में मेरी हर जिद्द पुरी नहीं की जाती थी, तब मुझे बहुत क्रोध आता था, पर जब मै बड़ा हुआ तो, समझ आया कि माँ🤱🏻 मुझे कुम्हार की भांति अच्छा आकार देना चाहती  थी*😊🤚🏻

*मै आभारी हूं, अपनी माँ 🤱🏻का ... जिनके छांव तले,उनके सिखाए मार्ग पर चल कर मैं एक अच्छा नागरिक बनने में कामयाब हुआ हूं।*✔️😊

सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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Wednesday, May 13, 2020

भगवान श्री कृष्ण के मुख्य ५१ नाम अर्थ सहित

*भगवान श्री कृष्ण के मुख्य ५१ नाम अर्थ सहित*

*~~~🌼~~~🌼~~~🌼~~~🌼~~~*
*१-कृष्ण* : सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला। जो सर्व आकर्षण है, जो अपनी ओर खींचता है वो कृष्ण है।
*२-गिरिधर* : भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने बांय हाथ की कनिष्का ऊँगली से उठाया था जिस कारण भगवान का नाम गिरधर, गिरधारी पड़ा। गिरी: पर्व, धर: धारण करने वाला। अर्थात गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले।
*२-मुरलीधर* : मुरली को धारण करने वाले।
*४-पीताम्बर धारी* : पीत : पीला, अम्बर : वस्त्र। जिसने पीले वस्त्रों को धारण किया हुआ है।
*५-मधुसूदन* : मधु नामक दैत्य को मारने वाले। भगवान श्री कृष्ण ने एक दैत्य को मारा था जिसका नाम मधु था। इसलिए भगवान -का नाम मधुसूदन पड़ा।
*६-यशोदा नंदन* : माँ यशोदा ने कृष्ण को पाला था, इसलिए के पुत्र होने के कारण कृष्ण का नाम यशोदा नंदन पड़ा।
*७-देवकी नंदन* : माँ देवकी ने कृष्ण को जन्म दिया इसलिए भगवान देवकी-नंदन कृष्ण कहलाते हैं।
*८-गोपाल*: गौओं को पालने वाला।
*९-गोविन्द*: इन्द्रियों के स्वामी, जो गोप, गोपियों को आनंद दे।
*१०-आनंद कंद*: आनंद की राशि देने वाला। जो सुख दुःख से ऊपर है। जो आनंद की खान है।
*११-कुञ्ज बिहारी* : भगवान श्री कृष्ण कुञ्ज गलियों में विहार करते थे, इसलिए इनका नाम कुञ्ज बिहारी पद गया।
*१२-चक्रधारी* : सुदर्शन चक्र धारण करने वाले। जिस ने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्र को धारण किया हुआ है।
*१३-श्याम* : सांवले रंग वाला।
*१४-माधव* : जब भगवान छोटे थे और माखन चुरा के भागते थे तब मैया यशोदा कहती थी। मा धव मा धव। जिसका अर्थ है- मत भाग, मत भाग। इसलिए भगवान का नाम पड़ा माधव।
*१५-मुरारी* : मुर नामक दैत्य का भगवान ने वध किया और नाम पड़ा मुरारी।
*१६-असुरारी* : असुरों के शत्रु।
*१७-बनवारी* : वनों में विहार करने वाले। भगवान ने वृन्दावन, निकुंज वन, निधिवन में विहार किया।
*१८-मुकुंद* : जिन के पास निधियाँ है। जो कान में  सफेद कनेर का पुष्प लगते हैं।
*१९-योगेश्वर* : जो योगियों के भी ईश्वर, मालिक हैं।
*२०-गोपेश*: जो गोपियों के इष्ट हैं।
*२१-हरि* : जो पापों को और दुःखों का हरण करने वाले हैं।
*२२-मनोहर* : जो मन का हरण करने वाले हैं।
*२३-मोहन*: सम्मोहित करने वाले, सबको मोहने वाले।
*२४-जगदीश*: जगत के मालिक।
*२५-पालनहार* : जो सबका पालन पोषण करने वाले हैं।
*२६-मनमोहन*–  जो मन को मोहने वाले हैं।
*२७-रुक्मिणी वल्लभ* : रुक्मणी के पति हैं।
*२८-केशव* : जिनके केश सुंदर हैं और जिन्होंने केशी नाम के दैत्य को मारा हैं। आज भी वृन्दावन में यमुना तट पर केशी घाट हैं।
*२९-वासुदेव* : वसुदेव के पुत्र होने के कारण, या जो इन्द्रियों के स्वामी हैं।
*३०-रणछोड़* : एक बार भगवान श्री कृष्ण युद्ध भूमि से भाग गए थे और उनका नाम पड़ा रणछोड़।
*३१-गुड़ाकेश* : निंद्रा को जितने वाले। ये नाम भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिलवाया।
*३२-हृषिकेश* : इन्द्रियों को जितने वाले।
*३३-दामोदर* :  एक बार माँ यशोदा ने भगवान कृष्ण के पेट को रस्सी से बाँध दिया था और भगवान का नाम पड़ा दामोदर।
*३४-पूर्ण परब्रह्म* : जिसके अंदर कोई कमी नहीं हैं जो पूर्ण हैं और जो देवताओं के भी मालिक हैं। वो पूर्ण परब्रह्म हैं।
*३५-देवेश*: जो देवों के भी ईश हैं।
*३६-नाग नथिया* : कलियाँ नाग को नाथने के कारण भगवान का नाम पड़ा नाग नथिया।
*३७-वृष्णिपति* : वृष्णि नामक कुल में उत्पन्न होने के कारण।
*३८-यदुपति* : यादवों के मालिक।
*३९-यदुवंशी*: यदु वंश में अवतार धारण करने के कारण।
*४०-द्वारकाधीश* : द्वारका नगरी के मालिक।
*४१-नागर* : जो सुंदर हैं।
*४२-नटवर*:  जो एक जादूगर (नट) की तरह हैं, एक कलाकार की तरह हैं।
*४३-छलिया* : जो छल करने वाले हैं।
*४४-राधा रमण* : राधा रानी के साथ रमन करने के कारण।
*४५-अघहारी* : अघ का अर्थ होता हैं पाप। जो पापों का हरण करने वाले हैं।
*४६-रास रचइया* : रास रचाने के कारण।
*४७-अच्युत* : जिसे पद से कोई नहीं हटा सकता। जिसका वास अखंड है। जिस के धाम से कोई वापिस नही आता है।
*४८-नन्द लाला* : श्री नन्द जी के पुत्र होने के कारण कृष्ण का नाम नंदलाला पड़ा।
*४९-हे नाथ* – जो सबके स्वामी हैं।
*५०-नारायण* :  जिनका वास जल में हैं।
*५१-बांके बिहारी* – वृन्दावन में प्रकट होने के कारण श्रीकृष्ण का एक नाम बांके-बिहारी हैं।
*🌹#कृष्णभक्तियोग🌹*
*🌹#जय_श्री_कृष्ण🌹*

सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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*⚜️जय गौमाता🐄जय गोपाला*⚜️।


*⚜️जय गौमाता🐄जय गोपाला*⚜️

*सर्वकामदुधे देवि सर्वतीर्थीभिषेचिनि ॥*
*पावने सुरभि श्रेष्ठे देवि तुभ्यं नमोस्तुते ॥*🚩

*🚩हमारे देश में गाय 🐄को माता माना जाता है☝🏻यह प्रचलन पीढ़ीयों से चला आ रही है। पुराणों में भी गाय🐄 को माता के रूप में दर्शाया गया है ।😊 यह पशु नहीं है। यह हम सबका अपने दूध रूपी अमृत से पालन करती है। 😊☝🏻इसलिये यह हमारी माँ के समान है। यहाँ गाय की पूजा की जाती है। पुराणों में एक ऐसी गाय🐄 का उल्लेख मिलता है, जिसे कामधेनु गाय कहा गया है। 🙏🏻🚩✔️ऐसी मान्यता है, कि कामधेनु गाय में दैवीय शक्तियाँ होती है, जिससे वह लोगों की मनोकामना को पूर्ण करती थी।*✔️☝🏻
*🚩कामधेनु गाय🐄 प्रत्येक प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करती थी। इसके दर्शन मात्र कर लेने से ही मनुष्य की सभी इच्छायें पूर्ण हो जाती थी।😳🙏🏻✔️ इसके दूध में अमृत के समान गुण पाये जाते थे,, ✔️☝🏻☝🏻अर्थात अमरत्व के गुण । इन्हीं कारणों से कामधेनु गाय को माता माना गया है। 😳✔️✋🏻इनकी पूजा की जाती है। साथ हीं सभी गायों🐄 को भी माँ की उपाधि दी गयी है। कामधेनु गाय🐄 जिसके भी पास होती थी , उसकी सभी जरुरतें वे पूरा करतीं थी,, एक माँ की तरह ,✋🏻😳 यह अपने सभी भक्तों का पालन पोषण करती थी।*✔️🚩

*• गाय के दोनो सींगों में ब्रह्मा और विष्णु ।*🚩
*• विश्व के समस्त जलस्त्रोतों का स्थान सींग के जुड़ाव पर स्थित है।*🚩
*• सिर पर भोले शंकर का स्थान है।*
*• सिर के किनारे पर माता पार्वती जी है।*🚩
*• नासिका पर कार्तिकेय, दोनों नासिकाओं के छिद्र पर कम्बाला और अश्वतारा हैं।*🚩
*• दोनों कानों पर अश्विनी कुमार*🚩
*• सूर्य और चंद्रमा का स्थान दोनों आँखों में है।*🚩
*• वायु देव का स्थान दाँतों की पंक्तियों में तथा और वरुण देव जीभ पर निवास करते हैं।*🚩
*• गाय की आवाज में साक्षात् सरस्वती का वास है ।*🚩
*• संध्या देवी होंठों पर और भगवान इंद्र गर्दन पर विराजमान हैं।*🚩
*• रक्षा गणों का स्थान गर्दन के नीचे की पसलियों पर है।*🚩
*• ह्रदय में साध्य देवों का स्थान है।*
*• जांघ पर धर्म देव का ।*🚩
*• गंधर्व खुर के बीच के स्थान में,पन्नगा खुर के कोने पर, अप्सराएं पक्षों पर।*🚩
*• ग्यारह रुद्र और यम पीठ पर, अष्टवसु पीठ की धारियों में।*🚩
*• पितृ देवता नाल के संयुक्त क्षेत्र में तथा १२ आदित्य पेट पर*🚩
*• पूंछ पर सोमा देवी, बालों पर सूरज की किरणें, मूत्र में गंगा, गोबर में लक्ष्मी और यमुना, दूध में सरस्वती, दही में नर्मदा, और घी में अग्नि का वास है।*🚩
*• गाय के बालों में ३३ कोटि देवताओं का निवास है।*🚩
*• पेट में पृथ्वी, थन में सारे महासागरों*🚩
*• तीनों गुण भौंह के जड़ों में, बाल के छिद्रों में ऋषियों का निवास, साँसों में सभी पवित्र झीलों का वास है।*🚩
*• होठों पर चंडिका और प्रजापति ब्रह्मा त्वचा पर हैं।*🚩
*• वेदों के छह भागों का स्थान मुख पर, चारों पैरों में चार वेद हैं। कुबेर और गरुड़ दाहिने ओर,यक्ष बाईं ओर गंधर्व अंदर की ओर स्थित हैं।*🚩
*• पैर के सामने में खेचरास, आंतों में नारायण, हड्डियों में पर्वत, अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों पैरों में अवस्थित हैं।*🚩
*• गाय के हूँकार में चारों वेदों कि ध्वनि है।*🚩

*☝🏻☝🏻😊अर्थात गौमाता 🐄ही सर्वत्र सर्वोपरि है,, इसीलिये जो गौमाता को जो व्यक्ति पशु मानता है.. वह स्वयं एक पशु है।।*⛳


सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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जब कभी बहुत आहत होता है ,,,,,,,,,,,,,,!!! (गीत)

जब कभी बहुत आहत  होता है  मन हमारा |
तब मैं  खोज लेता हूं  अपना वह उजियारा |
मिल जाता उजियारा  पावन हो जाता मन सारा |
तब कहीं दूर गगन से दिखता उसका सहारा |
लगता युगों की हुई शोध पूरी मिला खोया सारा |
जब कभी बहुत आहत होता है ,,,,,,,,,,,!!!

पल पल  सुन्दर  वह  राह  मिलती जाती है |
वह गहरी अमां निशा दूर कहीं छंटती जाती है |
कुम्हलाए फूल खूशबू  लिए महक आते हैं |
सोंधी सोंधी महॅक पा के हम मगन हो जाते हैं |
लगता है संवर गया वह उजड़ा चमन हमारा |
जब कभी बहुत आहत होता ,,,,,,,,,,,,,,!!!

नीलाम्बर छोर मे वे सितारे झलक जाते हैं |
क्षितिज पार में सतरंगी इन्द्रधनुष बन जाते हैं
झलकन की मस्ती में दूर होता है अँधियारा |
दुनिया सुंदर सी लगती मैं बन जाता हूं चितेरा |
लगता कितने कमाल से उसने हर रंग है उकेरा |
जब कभी बहुत आहत होता ,,,,,,,,,,,,,,!!!

आंसूओं में मीठी अनुभूतियों के आ जाते सपने |
अनजाने से मन में उतरने लगते वे खोए अपने |
अनुपम सुर ताल से मन में गूंजते हर गीत नए |
झलकता उजियारा लगता जले हैं खुशी के दिए |         
भेद भाव मिटता लगता सब है हमारा तुम्हारा |
जब कभी बहुत आहत होता ,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
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न मुझे तेरी ख़बर न तुझे मेरी ख़बर (गीत)

न मुझे तेरी ख़बर न तुझे मेरी ख़बर
न मुझे तेरी ख़बर न तुझे मेरी ख़बर
जो इम्तहां इधर वही इम्तहां उधर
न मुझे तेरी ख़बर न तुझे मेरी ख़बर
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हर सू धुंआ धुआं हर लम्हा बेबसी
दुश्मन छिपा छिपा नाकाम आशिकी
है झुकी मेरी नज़र है झुकी तेरी नज़र
है झुकी मेरी नज़र है झुकी तेरी नज़र
न मुझे तेरी ख़बर न तुझे मेरी ख़बर
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सुबह मचल रही यूँ ही शाम ढल रही
तन्हाईयां जवां हैं तेरी बात चल रही
सहमा उधर ज़िग़र सहमा इधर ज़िग़र
सहमा उधर ज़िग़र सहमा इधर ज़िग़र
न मुझे तेरी ख़बर न तुझे मेरी ख़बर
     
          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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नींद और चैन दोनों खो गये (गीत)

नींद और चैन दोनों खो गये, हम तुम्हीं को याद कर सो गये
हो गये हैं सनम आपके, फ़ासले न जाने क्यों हो गये
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जान सच कहते हैं तेरी कसम, तुम बिन बेजान हो गये हम
प्यार हम करते कितना तुझे, कितने भी यार कर ले सितम
रात और दिन फसाने हो गये, हम तुम्हीं को याद कर सो गये
हो गये हैं सनम आपके, फ़ासले न जाने क्यों हो गये
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आग कैसी जानम दिल में लगी, कर गये तुम क्यों दिल्लगी
याद तुम आते हो तन्हाई में, बन गये तुम मेरी जिन्दगी
नैन ये बैचेन क्यों हो गये, हम तुम्हीं को याद कर सो गये
हो गये हैं सनम आपके, फ़ासले न जाने क्यों हो गये
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
है लबों की मय तुम्हारे लिये, हैं गुलाबी गाल तुम्हारे लिये
दिलोज़िग़र तुम्हें दे दिया, कर दिया एलान तुम्हारे लिये
रास्ते दुश्वार से हो गये, हम तुम्हीं को याद कर सो गये
हो गये हैं सनम आपके, फ़ासले न जाने क्यों हो गये
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रात है जवां ईनाम दो, आओ और पास हमें थाम लो
बीत जायें न यूँ ही पल छिन, जज़्बातों को अन्जाम दो
तुम मिले न यार हम रो गये, हम तुम्हीं को याद कर सो गये
हो गये हैं सनम आपके, फ़ासले न जाने क्यों हो गये

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
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न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...