Sunday, July 8, 2018

रायसेन बरेली दुष्कर्म पर

तात्कालिन रायसेन/बरेली म.प्र. घटना पर चार पंक्तियां...--
क्या बिगाड़ा था तेरा,ओ ४ साल की मासूम
क्यों गड़ा दिया उस पर अपने जहरीलेनाखुन।
उसकी तो उम्र तेरी छोटी बहन का था,
ऐसी कोन सी दुश्मनी पिछले जनम का था।
जिस सिद्दत से लुटा है,किसी की इज्जत बचा के दिखाते,
गर बल आजमाना था,बार्डर में वार पे जा के आजमाते।
जरा बतलाओ खुद के बहन बेटी से क्या यही करते हो,
लाज नहीं तुम्हें आती, शर्म में डूब क्यों नहीं मरते हो।

✍ पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
"छत्तीसगढ़िया राजा"
साहित्यकार/पत्रकार/धार्मिक प्रवक्ता
मुंगेली छत्तीसगढ़-8120032834

Saturday, July 7, 2018

मोक्ष नहीं कोई पाया

मोक्ष नहीं कोई पाया (भजन )
रचना :- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
धार्मिक प्रवक्ता- मुंगेली-छत्तीसगढ़
7828657057-8120032834

नाथ तेरी माया जाल बिछाया
जामें सबजग फिरत भुलाया।।नाथ..
कर निवास नौमास  गर्भ में  फिर भूतलमें आया
खान पान विषया रसभोगन
मात पिता सिखलाया।।१।।नाथ...
घर में सुंदर नारी  मनोहर  देख  देख   ललचाया
सुन सुन मीठी बात सुतनकी
मोहपाश में फंसाया।। २।।नाथ...
गृहकाजनमेंनिशदिनफिरते सकलोजन्मबिताया
आशा प्रबल भई मन भीतर
निर्बल हो गई काया।। ३।।नाथ...
पापपुण्यसंचयकर पुनपुन स्वर्ग नरक भटकाया
शिवानंद कृपा बिन तुमरी
मोक्ष नहीं कोई पाया।।४।।नाथ...

शरण में तुमारी हुं

*शरण में तुमारी हुं..!!!* भजन (ग़ज़ल)
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी (१जनवरी २०१८)
मानस, श्रीमद्भागवत, शिव कथा - बाल वक्ता
मुंगेली छत्तीसगढ़:- ८१२००३२८३४

दिलादे भीख दर्शन की,प्रभु तेरा भीखारी हुं।।
चलकर दूर देशन से तेरे दरबार में आया
खड़ाहुं द्वारपे दिलमें तेरीआशाका धारी हुं।।
फिरा संसारचक्करमें भटकतारातदिन बिरथा
बिना दीदार के तेरे हमेशा मैं दुखारी हुं।
तुंही माता पिता बंधु तुंही मेरा सहायक है
तेरेदासों के दासनका चरणनका सेवकारी हुं।
भरा हुं पाप दोषन से झमा कर भूलको मेरी
वो शिव-शंभु सुन विनती शरण में तुमारी हुं।।

पिलादे प्रेम का प्याला प्रभुदर्शनपियासी हुं।।
छोड़कर भोग दुनिया के, योग के पंथ में आई
तेरेदीदारके कारण फिरुं बनबन उदासी हुं।
न जानुंध्यानका धरना न करनाज्ञानचरचा का
नहीं तपयोग हैकेवल तेरेचरणोंकी दासी हुं।।
न देखो दोष को  मेरे दया की फेर दृष्टि को
न दूजाआसरामुझको, तेरेदरकी निवासी हुं।।
कोई बैकुंठ बतलावे कोई कैलास पर्वत को
वोशिव-शंभु घट-घटमें रुपकीमैं बिलासी हुं।।

       *ॐ शिवाय नमः, नमो नारायणाय!!*

समय अगोरा नि करय भाई


*समय अगोरा नि करय भाई*
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली-छत्तीसगढ़ 8120032834

हर कोनो अगोरा करथे,फेर समय अगोरा नि करय भाई
चूक गे तहन ओ बेरा कभू फेर लहूट के नई आवय भाई
जेन समय ला बर्बाद करथें, उंखर जीनगी हो जाथे दुखदाई
जेन पढ़इया लइका चूक जथें, उन बिकट पछताथें भाई
जे किसनहा कहूं चूक जाथे ते, वोे भूख में मरथें भाई
जे जमींदार कहूं चूक जाथ ते, भिख मांगे करथें भाई
जेन एखर संग मे चलथे वो ही, हरदम खुश तो होथे भाई
समय के उपयोग करइया मन, कमाल कर जाथें भाई
गरीब एखर सदुपयोग करथें, उन अमीर बन जाथे भाई
पढ़इया जंगल ले नि चुके तो, सफलता के नवा कहनी लिखथें भाई
जेन किसान नई चुके तव, अन्न ले ओखर घर भर जाथे भाई
जेनला जीनगी के रीत पता हे, वो कभू अपन समय नइ तो गंवाय भाई
एखर सेती काहथंव…....
हर कोनो अगोरा करथे,फेर समय अगोरा नि करय भाई

कोनो नि देखे हावे कल

*कोनो नि देखे हावे कल..!!!*

रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली-छत्तीसगढ़ ८१२००३२८३४

कल कल छल छल जइसे अविरल
बहथे नदिया मन के जल
गुजर जाथे कुछ अइसनहे
जीनगी सरिता के हर पल
बनके कल आज आऊ कल ।
हर आज बन जाथे बीतके
बीते वाले तो ओहर कल
अवइयाे वाले कल घलो
बिहना ले पहिलिच,फेर
बन जाथै भाई आज ।
कोई नि जान सकिन
ए आज कल के राज
कोन जनि कइसन होही वो
अवइया वाले  कल ।
काबर नई  खुशीं  ले भर लिन
जीनगी के ये स्वर्णिम पल
कल  ला कोन  देख हे संगी
कोनो नि देखे हावे कल..!!! ।

Friday, July 6, 2018

मानसून अब आवत हे

🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
चेंच, चरोटा आनि -बानि,
भाजी -पाला उलहोवत हे।
दीदी, बहिनी, दाई मन ह,
बारी  बखरी  बोंवत हे।।

गाय, गरू, अऊ बइला, भइंसा,
बरदी म सकलावत हे।
हमरो छत्तीसगढ म संगी,
मानसून अब आवत हे।। ☔☔☔⛅⛅⚡
🐌
केकरा, घोंघी नींद ले जागे,
🐞झेंगुरा, फांफा नाचय जी।
🐸
बेंगवा घर म घलो झमाझम,

कईसन डी. जे. बाजय जी।।
🐍
पिटपिटी बिचारा का करय,              एति -ओति  मटमटावत हे।

हमरो छत्तीसगढ म संगी,
मानसून अब आवत हे।। ☔☔☔⛅⛅⚡
👫
लइका मन ह चिखला म,
घरघुंदिया बिकट बनाहीं।
चलही कागज के डोंगा जब,
गली  म  धार  बोहाही।।

इस्कुल खुलगे जावव कइके,
दाई -ददा जोजियावत हे।  

हमरो छत्तीसगढ म संगी,
मानसून अब आवत हे।। ☔☔☔⛅⛅⚡

बऊग बतर के किरनी मन,
दिया बाती म झपावत हे !

हमरो छत्तीसगढ म संगी,
मानसून अब आवत हे।। ☔☔☔⛅⛅⚡⚡

समय बड़ हे बलवान

*समय बड़ हे बलवान*
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली-छत्तीसगढ़ ७८२८६५७०५७

टिक न सके एखर आगू, बड़े ले बड़े  धनवान………………
समय बीत जाही फेर, तुमन बड़ पछताहू
एतका सुघर समय भला, तुमन दूबारा कहां ले लाहू
समय बीत जाथे तव मनखे बहुत पछताथे भाई………………
व्यर्थ बिताये समय ल फेर, कउन कहाँ कब पाथे भाई
जे नि पहिचाने इहां समय के मोल………………
कर नईं पाथे कोनो भी अच्छा काम
नई कर पावय  उन, जग में ऊँचा अपन तो नाम………………
कहूं जीनगी में कुछ करना हे तव………………
सबले आगू बढ़ना हे तव, समय के महतम ला पहिचान
अऊ बढ़ावव अऊ अपन तो मान……………….
काबर के संगी सबले ,समय हे बड़ बलवान..!!!

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...