Wednesday, January 8, 2020

आज का संदेश


           🔴 *आज का सांध्य संदेश* 🔴

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                            *मानव जीवन विचित्रताओं से भरा हुआ है | मनुष्य के द्वारा ऐसे - ऐसे क्रियाकलाप किए जाते रहे हैं जिनको देख कर के ईश्वर भी आश्चर्यचकित हो जाता है | संपूर्ण जीवन काल में मनुष्य परिवार एवं समाज में भिन्न-भिन्न लोगों से भिन्न प्रकार के व्यवहार करता है ,  परंतु स्थिर भाव बहुत ही कम देखने को मिलता है | यह समस्त सृष्टि परिवर्तनशील है क्षणमात्र में क्या हो जाएगा यह जानने वाला ईश्वर के अतिरिक्त और कोई नहीं है | मनुष्य समाज में लोगों से अपने मन के अनुसार बैर एवं प्रीत किया करता है | किसी से भी प्रीति कर लेना मनुष्य का स्वभाव है परंतु किसी से बैर हो जाना मनुष्य की नकारात्मक मानसिकता का परिचायक है |  मनुष्य किसी से बैर करता है तो उसके मुख्य कारणों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है और यदि इनके कारणों पर सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाय तो परिणाम यही निकलता है कि किसी से भी बैर / दुश्मनी होने का प्रमुख कारण अहम का टकराव ही होता है | मनुष्य अपने स्वार्थ बस किसी से प्रेम करता है और जब उसका स्वार्थ पूरा हो जाता है और विचार मिलना बंद हो जाते हैं तो धीरे-धीरे मनुष्य प्रीति का त्याग करके बैर अर्थात शत्रुता की ओर अग्रसर हो जाता है | पूर्व काल में भी बैर और प्रीति होते रहे हैं परंतु पूर्व काल के मनुष्यों में गंभीरता होती थी और अपने वचन के प्रति प्रतिबद्धता होती थी | जिससे प्रेम हो गया आजीवन उसके लिए सर्वस्व निछावर करने का प्रमाण हमारे देश भारत में प्राप्त होता है वही शत्रुता होने का भी एक ठोस कारण हुआ करता था और मनुष्य उसे भी जीवन भर निर्वाह करने का प्रयास करता था | परंतु आज सब कुछ बदल गया है |*

*आज का मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है कि अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी से भी प्रीति एवं बैर करने को लालायित रहता है | आज के युग में अधिकतर लोग मात्र अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए लोगों से प्रेम करते हैं | आज समाज में मनमुटाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है इसका प्रमुख कारण है अहम का टकराव , और इसके साथ ही आज का मनुष्य किसी के भी द्वारा अपने क्रियाकलापों पर रोक नहीं बर्दाश्त कर पाता |  यदि कोई किसी को किसी गलत कार्य पर टोक देता है तो वह व्यक्ति उसे अपना शत्रु मानने लगता है | मैं आज लोगों को देख रहा हूं कि समाज की बात तो छोड़ ही दीजिए सबसे ज्यादा शत्रुता तो परिवारों में देखने को मिल रही है | लोग अपने माता पिता को भी अपना बैरी मान लेते हैं | और समाज में ऐसे ऐसे धुरंधर भी हैं जो किंचित बात पर किसी को भी अपना बैरी मान करके समाज में अपमानित कर देते हैं और पुनः दो दिन बाद समाज के भयवश या लज्जावश उन्हीं के चरण स्पर्श करते हैं यह बात यही सिद्ध करती है कि आज का मनुष्य अपने नैतिक मूल्यों से कितना पतित हो गया है | यदि किसी से आपने बैर ठान ही लिया है तो उसे बैरी की ही भांति देखना चाहिए ना कि पुनः उसी के चरण शरण में चले जाना चाहिए | यदि अपनी भूल का आभास हो जाय तब तो शरणागत होना कदापि गलत नहीं है परंतु मात्र समाज को दिखाने के लिए यदि कोई इस प्रकार के क्रियाकलाप करता है तो वह मनुष्य कहे जाने के योग्य नहीं कहा जा सकता |*

*बैर - प्रीति मनुष्य का स्वभाव है परंतु जिस प्रकार किसी भी कार्य का एक ठोस कारण होता है उसके विपरीत जाकर मनुष्य किसी से भी प्रेम या शत्रुता आज बिना किसी ठोस कारण के कर रहा है | यही वह कारण है जो बताता है कि मनुष्य ने अपनी मनुष्यता खो दी है |*

🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

सभी भगवत्प्रेमियों को *"शुभ प्रभात वन्दन*----🙏🏻
                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Tuesday, January 7, 2020

आज का सुविचार

*क्रोध हो सकारात्मक*

यह जरूरी नहीं कि क्रोध किसी व्यक्ति पर ही आए, कभी-कभी देश और समाज के हालात पर भी मन अधीर होने लगता है, उद्दीग्न मन कुछ भी नकारात्मक प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार हो जाता है **..

ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग दो उपायों को अपनाते हैं, या तो वे अपने से कमजोर व्यक्ति पर अपना क्रोध तेज आवाज में बोलकर या हिंसा कर उतारते हैं, या फिर सामान इधर-उधर फेंककर अपने दिल की भड़ास निकालते हैं, दूसरे उपाय के तहत वे अपने क्रोध को दबा देते हैं **..

हम अपनी हताशा और बेचैनी को दिल और दिमाग की कई परतों में छुपा देते हैं और इसे *मौनं सर्वार्थ साधनं* की संज्ञा दे देते हैं वास्तव में यह मौन नहीं, कुंठा है **..

हर छोटी बात पर क्रोधपूर्ण प्रतिक्रिया देना तो उचित नहीं है, लेकिन यदि किसी अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने या प्रतिकार करने से किसी का हित हो रहा हो या फिर समूह को फायदा पहुंच रहा हो, तो हमें ऐसा करने से हिचकना नहीं चाहिए, अंदर दबे क्रोध को बाहर निकालने के बाद ही चित्त शांत हो सकता है, बशर्ते  यह ऊर्जा सकारात्मक रूप में सामने आए !!!!!!!!!
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                  आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

आज का संदेश

🔴 *आज का प्रात: संदेश* 🔴

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                           *इस धराधाम पर मनुष्य जीवन कैसे जिया जाय ? मनुष्य के आचरण कैसे हो सनातन के धर्म ग्रंथों में देखने को मिलता है | जहां मनुष्य को अनेक कर्म करने के लिए स्वतंत्र कहा गया है वही कुछ ऐसे भी कर्म हैं जो इस संसार में है तो परंतु मनुष्य के लिए वर्जित बताए गए हैं | इन्हीं कर्मों में ईर्ष्या , द्वेष , छल , कपट , चोरी , अहंकार आदि आते हैं | प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कभी न कभी वह अवसर अवश्य प्रकट हो जाता है जब उसको यह उपरोक्त दुर्गुण अपनी जाल मैं फंसा लेते ऐसे समय पर मनुष्य को बहुत ही सावधान रहने की आवश्यकता होती है | यदि किसी के द्वारा अपने "गुरु से कपट एवं मित्र से चोरी" की जाती है तो उसका फल उसको अवश्य भुगतना पड़ता है |  हमारे यहां कहा भी गया है कि :- "गुरु से कपट मित्र से चोरी ! या हो निर्धन या हो कोढ़ी !!" | गुरु से कपट करने वाला जीवन के अंधकार में खो जाता है , उसके चेहरे का तेज गायब हो जाता है | मानव जीवन गुरु एवं मित्र यह दो ऐसे चरित्र होते हैं जो मनुष्य को जीवन के अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में सहायक होते हैं , और जब मनुष्य के द्वारा इन्हीं से कपट किया जाता है तो वह अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आता है और मनुष्य को उसका फल अवश्य भुगतना पड़ता है | गुरु से कपट करने का परिणाम सूर्यपुत्र कर्ण को भुगतना पड़ा था | जब उसके प्राण संकट में थी तब अपने गुरु परशुराम के श्राप के कारण उसकी सारी विद्या लुप्त हो गई , वही मित्र से चोरी करने का क्या परिणाम होता है यह जानने के लिए सुदामा का चरित्र पढ़ना बहुत आवश्यक है | कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन में हमारे आसपास कुछ ऐसे चरित्र होते हैं जो हमें ज्ञान के प्रकाश से परिपूर्ण कर देते हैं और यदि हमारे द्वारा जाने अनजाने ही उनकी निंदा या उनके प्रति कपट किया जाता है तो जीवन अंधकारमय हो जाता है | ऐसा करने के बाद मनुष्य जीवन भर सुख नहीं प्राप्त कर सकता |*

*आज के वर्तमान युग में चारों ओर छल , कपट , झूठ , पाखंड का एक प्रबल चक्रव्यूह बना हुआ है जिसमें मनुष्य चारों ओर घिर गया है | आज को कुछ मनुष्य जीवन में जल्दी से जल्दी सब कुछ प्राप्त कर लेना चाहते हैं , उसके लिए चाहे उन्हें अपने प्रिय  लोगों का गला ही क्यों ना काटना पड़े | घात , प्रतिघात एवं विश्वासघात जो भी कह लिया जाय आज इसका साम्राज्य खूब फल फूल रहा है | जिसको आप अपना मान कर के आश्रय देते हैं उसी के द्वारा आपको विश्वासघात का प्राप्त होता है | मै ऐसा करने वालों को मूर्खों की श्रेणी रखते हुए यह बताना चाहूंगा कि अपने गुरु से कपट एवं मित्र से चोरी करके उनको क्षणिक सुख , संपत्ति एवं ऐश्वर्य तो प्राप्त हो सकता है परंतु उनका आने वाला भविष्य बहुत उज्ज्वल नहीं हो सकता है , क्योंकि यह धरती कर्मभूमि है |  यहां कर्म का सिद्धांत प्रभावी होता है जिसके जैसे कर्म है उसको उसका फल भोगना ही पड़ेगा | आज मनुष्य जो दूसरों के लिए कर रहा है , दूसरों के साथ कपट पूर्ण व्यवहार करके जो प्रसन्न हो रहा है वह यह जान ले कि आने वाले समय में उसके साथ भी वही व्यवहार करने वाला कोई ना कोई समाज में खड़ा हो जाएगा क्योंकि यही कर्म का सिद्धांत है , यही प्रकृति का नियम है और यही ईश्वर की नियति है |  अपने कर्म फल से कोई भी नहीं बच सकता है जीवन में हमारे साथ ऐसा कुछ ना हो इसके लिए प्रत्येक मनुष्य को तदैव सत्कर्म की ओर उन्मुख होना चाहिए ,  अन्यथा वर्तमान में बोया हुआ बीज भविष्य में फल अवश्य देता है | मनुष्य अपने ज्ञान के अहंकार में उपरोक्त बातें मानना तो नहीं चाहता है परंतु जो उपरोक्त बातों को अनदेखा कर रहा है वह कितना बड़ा विद्वान है विचार करने की बात है |*

*विद्वान उसे कहा जाता है जो ज्ञानवान हो और जिसे यह ज्ञान ना हो कि हमें किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए उसे विद्वानों की श्रेणी में रखना भी मूर्खता ही कही जा सकती है |*

🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

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सभी भगवत्प्रेमियों को *"आज दिवस की मंगलमय कामना*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Thursday, January 2, 2020

आज का संदेश


           🔴 *आज का प्रात: संदेश* 🔴
 
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                                 *आदिकाल में जब सृष्टि का विस्तार हुआ तब इस धरती पर सनातन धर्म के अतिरिक्त और कोई धर्म नहीं था | सनातन धर्म ने मानव मात्र को अपना मानते हुए वसुधैव कुटुंबकम की घोषणा की जिसका अर्थ होता है संपूर्ण पृथ्वी अपना घर एवं उस पर रहने वाले मनुष्य एक ही परिवार के हैं |  सनातन धर्म की जो भी परंपरा प्रतिपादित की गई उसमें मानव मात्र का कल्याण निहित था ,  क्योंकि जब मनुष्य उठकर चलना सीख रहा था तब से सनातन धर्म ने मनुष्य को उंगली पकड़कर चलना सिखाया | जिस प्रकार एक विशाल वृक्ष की कई शाखाएं एवं उन शाखाओं में अनंत पत्तियां होती हैं उसी प्रकार सनातन धर्म रूपी वृक्ष में अनेकों प्रकार के धर्म एवं संप्रदाय रूपी शाखाएं उत्पन्न हुई फिर उनमें ही अनेकानेक पंथ रूपी पत्तियां शोभा पाने लगीं ,  परंतु सनातन ने कभी किसी का विरोध नहीं किया , सब को ही गले से लगाकर चलने की शिक्षा  सनातन धर्म के धर्म ग्रंथों से उद्धृत होती रही , परंतु जिस प्रकार राक्षसी प्रवृत्ति एवं नकारात्मक शक्तियों ने सनातन धर्म का विरोध किया वह किसी से छुपा नहीं है | यह सनातन की सहिष्णुता का ही परिणाम है कि किसी भी धर्म ग्रंथ में किसी धर्म संप्रदाय विशेष के रूप में कहीं ही कोई अनर्गल टिप्पणी नहीं प्राप्त होती है | जहां अन्य धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापकों ने सनातन के विरोध में ही एक नए धर्म की नींव डाली वहीं सनातन ने उनको भी एन केन प्रकारेण अपनाने का ही कार्य किया है | शायद इसीलिए सनातन जिस प्रकार दिव्यता के साथ इस पृथ्वी पर प्रकट हुआ था आज भी उसकी वही दिव्यता विद्यमान है |*

*आज वर्तमान युग में अनेक विद्वान , अनेक धर्म एवं संप्रदाय के ठेकेदार बन गए जिनको सनातन धर्म एवं उसके प्रतीक भगवा रंग में अनेकों बुराइयां दिखाई पड़ती है | यहां तक कि लोग सनातन धर्म को असहिष्णु  कह रहे हैं उनके द्वारा यदि ऐसा कहा जा रहा है तो ऐसे लोग या तो सनातन धर्म को जानते नहीं हैं या फिर ओछी राजनीति के चक्कर में ऐसे वक्तव्य दे रहे हैं | मैं चुनौती देकर के समाज के ऐसे ठेकेदारों एवं धर्म का ठेका लेने का दम भरने वालों से पूंछना चाहता हूँ कि इस्लाम धर्म या ईसाई धर्म की किसी पुस्तक में सनातन धर्म के किसी महापुरुष , राम या कृष्ण के विषय में कोई वर्णन , कोई कथा दिखा सकते हैं ?? जबकि मैं सनातन धर्म की सहिष्णुता का उदाहरण देते हुए बताना चाहूंगा कि सनातन ने सबको अपना कैसे माना है | हमारे यहां अठारह पुराणों में एक पुराण है भविष्य पुराण , जिसमें इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मोहम्मद साहब एवं ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह की भी कथाओं का वर्णन किया गया है | यह सनातन धर्म की व्यापकता का ज्वलंत उदाहरण है , जिसे आज असहिष्णु कहा जा रहा है | इन धर्मांधों को सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने की आवश्यकता है | यदि ऐसे लोगों के मन में कहीं से भी यह विचार उत्पन्न हो रहा है ऐसा करके वह सनातन को नष्ट कर देंगे तो यह बता देना आवश्यक है कि सनातन धर्म सृष्टि के आदि से है और प्रलय काल तक रहेगा | इस बीच अनेकों सभ्यता एवं संस्कृति आई और चली गई और भविष्य में भी अनेक धर्म आकर के नष्ट हो जाएंगे परंतु सत्य सनातन विद्यमान रहेगा |*

*सनातन के अनुयायी यदि सभी प्रकार के विरोध का सामना कर रहे तो उसका एक ही कारण है कि सनातन सभी धर्मों का पिता है | जिस प्रकार अपनी संतानों के द्वारा पिता उपेक्षित होकर भी उन पर प्रेम बरसाता रहता है उसी प्रकार सनातन भी चुपचाप सब देख रहा है |*  

     🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

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सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना"*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
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१ जनवरी २०२०

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
           पर धर्मनिरपेक्ष भारत में
1जनवरी को नववर्ष मानने वाले को 2020 की शुभकामनाएं
       
        ये धुंध कुहासा छंटने दो
          रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
          फागुन का रंग बिखरने दो,
प्रकृति दुल्हन का रूप धर
           जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
           घर -घर खुशहाली लायेगी,
तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि
           नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
           जय-गान सुनाया जायेगा...

🚩॥ वन्दे मातरम॥🚩

Sunday, December 29, 2019

आज का संदेश

*हमारी आत्मा और परमात्मा एक ही है । इस बात को मानते तो सभी है ,लेकिन इसे आत्मसात कर लेने वाले बिरले ही महा पुरुष होते है । वे किसी भी सुख -दुख से अप्रभावित रहते हुए पाप - पुण्यो को छोड़ कर आत्मा में ही रमण करने लगते है । उन मनुष्यों के के सभी कर्म दिव्यता को प्राप्त होते है ॥* 

*जब हम दूसरों पर भरोसा करते है और दूसरों पर ही निर्भर करते है तो उस स्थिति में हम अपनी आत्मिक शक्ति खो देते है ॥* 
 *अत: जगत पर निर्भर होने के बजाय अपनी आत्मा पर ही भरोसा करे । जब हम दूसरों का भरोसा छोड़ कर केवल अपनी आत्मा का ही भरोसा करेंगे तो जगत की सभी सम्पदायें स्वत: ही आप के पास आने लगेगी । हमारी दृष्टि जगत और केवल एक आत्म तत्व पर ही स्थिर होनी चाहिए । लोगों की धमकी और प्रशंसा को काट कर केवल आत्म तत्व पर ही दृष्टि रखें ॥*

 *शुभ प्रभात आपका दिन मंगलमय हो*🙏🙏

Saturday, December 28, 2019

आज का संदेश

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*प्रलये भिन्नमर्यादा भवन्ति किल सागराः।*
*सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलयेऽपि न साधवः।।*

भावार्थ: *जिस सागर को हम इतना गम्भीर समझते हैं, प्रलय आने पर वह भी अपनी मर्यादा भूल जाता है और किनारों को तोड़कर जल-थल एक कर देता है; परन्तु साधु अथवा सज्जन पुरुष संकटों का पहाड़ टूटने पर भी श्रेठ मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करता। अतः साधु (सज्जन) पुरुष सागर से भी महान होता है।*
*आपका आज का दिन मंगलमय रहे।*
*🙏🌹🚩सुप्रभातम् 🚩🌹🙏*
*वन्दे मातरम्*🚩🚩
                    आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...